ब्लैक स्पॉट और अतिक्रमण बन रहे दुर्घटनाओं के कारण…
बीते एक साल में 1879 सड़क हादसे
उज्जैन प्रदेश में छठवें नंबर पर
उज्जैन में 300 KM लंबी सड़क पर 34 खतरनाक मोड़, 26 ब्लैक स्पाट
अक्षरविश्व .उज्जैन।राज्य सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़ों के अनुसार बीते एक साल के दौरान उज्जैन में 1879 सड़क हादसे हुए है। इसका मुख्य कारण सड़कों के ब्लैक स्पॉट और इनके किनारे अतिक्रमण है। सबसे ज्यादा सड़क हादसे शाम 6 से लेकर रात 9 बजे तक होते हैं।
राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की समीक्षा के अनुसार बीते साल प्रदेश में सबसे ज्याद सड़क हादसे जबलपुर में 4046 हुए है। दुर्घटनाओं के मामले में उज्जैन प्रदेश में छठवें नंबर पर है। सबसे ज्यादा सड़क हादसे शाम 6 से लेकर रात 9 बजे तक होते हैं। जबकि सबसे कम मध्यरात्रि के बाद 3 से 6 बजे के बीच होते हैं। शहरों की तुलना में गांव में हादसे ज्यादा हो रहे हैं। इसे कम करने या रोकने के लिए ब्लैक स्पॉट खत्म करना,अतिक्रमण हटाना और पेट्रोलिंग बढ़ाना आवश्यक है।
यह है शहर के आसपास के मार्गों की स्थिति
152 वर्ग किलोमीटर में फैले शहर के आउटर रिंग रोड 10 से 15 मीटर चौड़े हैं। मार्ग अत्यंत सकरा और खतरनाक है। एक तरफ कटीली झाडिय़ों और दूसरी तरफ अतिक्रमण के कारण यह मोड़ ब्लैक स्पाट में शुमार है।
उज्जैन-देवास रोड : 36 किलोमीटर लंबा उज्जैन -देवास रोड फोरलेन में तब्दील हो रहा है। कार्यशील रोड और एप्रोच रोड पर सुरक्षा के इंतजाम कम नजर आ रहे हैं। एप्रोच रोड पर जगह-जगह खड्डे हो रहे हैं। गांव की सरहद में कायदे से रोड साइड स्थाई बेरीगेटिंग की जाना चाहिए थी ताकि मार्ग को गाय- भैंस आदि पशु क्रास न कर सके। मगर ऐसा नहीं किया गया। रोड पर नरवर पुलिया पर अंधा मोड़ है। संकेतक बोर्ड की कमी है।
नजर नहीं आता इंटरसेप्टर वाहन: वाहनों की ओवर स्पीड के चलते एक्सीडेंट लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हादसों को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय भोपाल से उज्जैन पुलिस को आधुनिक इंटरसेप्टर वाहन दिया गया था। दावा था कि वाहन में लगे अत्याधुनिक कैमरे वाहनों की फोटो खींचने के साथ ही उनकी स्पीड भी बता देते हैं।
इसका उद्देश्य है हादसों को रोकना है,ताकि जिंदगी बचाई जा सके। गाड़ी में लगे अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से हाईवे समेत अन्य मार्गों पर सख्त कार्रवाई होगी, जिससे ओवर स्पीड कम कर हादसों में कमी लाने का प्रयास किया जाएगा। इस वाहन द्वार अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं बहुत समय से आधुनिक इंटरसेप्टर वाहन किसी भी हाईवे पर नजर नहीं आया है।
इंटरसेप्टर वाहन में लगे आधुनिक उपकरण की खासियत यह है कि वह 200 मीटर पहले ही कैमरे से ओवर स्पीड गाड़ी का पता लगा कर उसकी नंबर प्लेट स्कैन कर लेता है, इसके बाद चालान भी स्कैन कर प्रिंट आउट दे देता है।
जानकारों के अनुसार उज्जैन की 300 किमी लंबी सड़क पर 34 खतरनाक मोड़, अनगिनत गड्ढे और 26 ब्लैक स्पाट हैं। इन मार्गों को दुरुस्त करने के साथ लगभग हर चौराहे- तिराहे पर बाएं मोड़ की बाधाएं और फुटपाथ पर से अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है। स्पीड ब्रेकर भी तकनीकी मापदंड अनुसार नहीं बने हैं।
संकेतक बोर्ड की कमी भी खलती है। अंधे मोड़ को खत्म कर समुचित लाइट लगाने एवं सड़कों पर ब्लींकर्स लगाने की भी जरूरत है। जिन राष्ट्रीय एवं राज्यमार्ग से गांव सटे हैं, उन गांव के आबादी क्षेत्र में रोड साइड बैरिकेड्स लगाए जाने की आवश्यकता है ताकि पशु सड़क पार न कर पाए। सड़क दुर्घटनाओं और ट्रैफिक बाधित करने की वजह पशु भी हैं।
उज्जैन-नागदा-उन्हेल-जावरा मार्ग
उज्जैन से जुड़े 95 किलोमीटर लंबे और 7 मीटर चौड़े उज्जैन-उन्हेल-नागदा-जावरा सड़क मार्ग में 28 कर्व और पांच ब्लैक स्पाट हैं। सड़क किनारे अतिक्रमण पसरा है। नागदा में सड़क की स्थिति खराब है। कई अनगिनत गड्ढे हैं।
चिंतामन बायपास
नागदा-बडऩगर के लिए सिंहस्थ बायपास पर मार्ग संकेतक का अभाव है,मार्ग पर कई ब्लैक स्पाट है,तो अतिक्रमण और वाहनों की अवैध पार्किंग के कारण रोड़ पर आवागमन बाधित होता है। इस मार्ग पर कई कॉलोनियां विकसित हो चुकी है,जिनके रास्ते सीधे बायपास पर खुलते है।
इंदौर मार्ग
वैसे तो यह फोरलेन है,लेकिन 54 किमी मार्ग पर कई खतरे है। मार्ग संकेतक ठीक नहीं है और जगह-जगह रोड डिवाइडर्स को सड़क क्रासिंग करने वालों ने क्षतिग्रस्त कर रखा है।