महादेव शिव शंभू को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और उनको आशीर्वाद देते हैं। इंसान हो या फिर असुर महादेव ने हर किसी पर अपनी कृपा बरसाई है। भगवान शिव कैलाश पर भी वास करते हैं और श्मशान में भी। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए मिठाई या खोाआ की जरूरत नहीं है बल्कि मुफ्त में मिलने वाले बेलपत्र, धतुरा और एक लोटा जल से खुश किया जा सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को भांग और धतूरा आखिर क्यों पसंद है…
भगवान शिव को कई सामग्रियां प्रिय हैं, जिसमें खास तौर पर आंकड़ा, जल, बिल्वपत्र, भांग, कर्पूर, दूध, चावल, चंदन, भस्म, रुद्राक्ष और धतूरा है, जिन्हें भोलेनाथ को अर्पित करने से वे अपने भक्त पर प्रसन्न होकर उनकी हर कामना पूरी करते हैं।
धतूरा क्या है, जानें महत्व : धतूरा भगवान शिव को चढ़ाया जाने वाला एक कांटेदार फल है, जो आम तौर पर जहरीला और जंगली फल माना जाता है। इसका धार्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि धतूरे के बारे में यह कहा जाता है कि शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाते समय अपने मन और विचारों की कड़वाहट भी अर्पित करना चाहिए। इससे मन के विचार शुद्ध होने लगते हैं, तथा जीवन से कटुता दूर होती है।
धतूरा अर्पित करे का तरीका : भगवान शिव जी का पूजन करते समय एक धतूरा शिवलिंग के ऊपर रखें, ध्यान रखें कि धतूरा अर्पित करते समय उसकी डंडी ठीक विपरीत दिशा में हो यानी कि आप जहां से भोलेनाथ को धतूरा चढ़ा रहे हो उसके विपरित दिशा में रखना उचित होता है। फिर धतूरा अर्पित करने बाद धीरे-धीरे उसके ऊपर एक लोटे से जल चढ़ाते रहें। इस प्रकार शिव जी का पूजन करके धतूरा चढ़ा देने से वे प्रसन्न होते हैं।
धतूरा भोलेनाथ को क्यों पसंद है : धार्मिक ग्रथों के अनुसार भगवान शिव (Lord Shiv) को धतूरा अत्यंत प्रिय है। इसके पीछे पुराणों मे जहां इसका धार्मिक कारण बताया गया है, वहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी है। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं। यह अत्यंत ठंडा क्षेत्र है जहां ऐसे आहार और औषधि की जरूरत होती है, जो शरीर को ऊष्मा प्रदान करें
पौराणिक कथा
भगवान शिव को नीलकंठ कहा गया है. क्योंकि सागर मंथन के दौरान भगवान शिव ने विष का प्याला पिया और उन्होंने विष को अपने गले के नीचे नहीं उतरने दिया. भगवान शिव के मस्तिष्क पर विष का असर हो गया और वह बेहोश हो गए. इस स्थिति में देवताओं के सामने भगवान शिव को होश में लाना सबसे बड़ी परेशानी हो गई.
इस संकट से उबारने के लिए देवताओं के सामने आदि शक्ति प्रकट हुई और उन्होंने भगवान शिव का उपचार करने के लिए जूड़ी बूटिया और जल से उपचार करने को कहा. आदि शक्ति के कहने पर देवताओं ने भगवान शिव पर भांग, धतूरा और बेलपत्र रखा और जल से लगातार अभिषेक किया. इसके बाद से भगवान शिव को भांग, धतूरा बेहत पसंद है. इसलिए भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इन चीजों को अर्पित करते हैं. भांग और धतूरे को औषधीय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
धतूरे के फूल के उपाय
धतूरे का फल और फूल दोनों भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं, लेकिन धतूरे के फल को आप प्रसाद के रूप में खा नहीं सकते, क्योंकि ये जहरीला होता है. धतूरे के फूल को आप प्रसाद के रूप में अपने पास रख सकते हैं.
मान्यताओं के अनुसार धतूरे के फूल को अपनी कॉपी किताबों के बीच में रख सकते हैं. जब यह सूख जाए तब भी आप इसे अपने पास रख सकते हैं. माना जाता है प्रसाद के रूप में मिले हुए धतूरे के फूल को कॉपी किताबों में रखने से ज्ञान की वृद्धि होती है.
प्रसाद के रूप में प्राप्त धतूरे के फूल को आप अपने धन स्थान पर रख सकते हैं. ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति सदैव मजबूत बनी रहती है.
यदि आपको भी रात में डरावने सपने आते हैं, तो ऐसे में आप धतूरे के फूल को अपने तकिए के नीचे रखकर सो सकते हैं. ऐसा करने से अनजाना भय दूर होता है, साथ ही डरावने सपने आना भी बंद हो जाते हैं.
यदि आपके पास रखा हुआ धतूरे का फूल काफी पुराना हो चुका है. तो इसे फेंकने के स्थान पर आप इसे नदी में प्रवाहित कर दीजिए.