धंधा है मगर गंदा है शिक्षा माफिया का फण्डा, अपने सेट किए स्कूलों में दिलवा देते हैं डमी प्रवेश
भारत के भविष्य की नस्ल को चौपट कर रहे बड़े कोचिंग संस्थान…!
पढऩे जाते हैं कोचिंग संस्थान पर और हाजिरी लगती है संबंधित स्कूल में
स्कूलों में डमी प्रवेश की देते हैं सलाह
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर में कतिपय कोचिंग संस्थानों ने अपनी शाखाएं खोल ली है। वे अपने विज्ञापनों के माध्यम से नई पौध को अपने संस्थान में प्रवेश के लिए आकर्षित कर रहे हैं। इस आकर्षण के फलस्वरूप नई पौध रूटिन की स्कूली जिंदगी से दूर जा रही हैं। भविष्य की नस्ल को चौपट होने से बचाने और डमी प्रवेश के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए शिक्षा विभाग के जिम्मेदार आगे नहीं आ रहे हैं। दुष्परिणाम यह हो रहा है कि टारगेटेड पढ़ाई के परिणाम न मिलने पर बच्चे आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं।
बड़े शहरों की तरह अपने उज्जैन में 10वीं पास करने वाली नई पौध कुछ बड़ा करने, बड़ा बनने की ललक में अपना बचपन खो रही हैं। इनके अभिभावक भी लापरवाह नजर आ रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि अपने 10वीं पास बच्चे के लिए पालक शहर में वह स्कूल ढूंढ रहे हैं, जो उनके बच्चे को कक्षा 11वीं में डमी प्रवेश दे दे। ताकि उनका बच्चा प्रोफेशनल कोचिंग ले सके और उसकी उपस्थिति रोजाना संबंधित स्कूल के रजिस्टर में दर्ज हो सके।
ऐसा होने पर बच्चा नियमित छात्र रहेगा लेकिन उसे रोजाना संबंधित स्कूल नहीं जाना पड़ेगा। स्कूल वाले ही उसकी हाजिरी लगा देंगे और प्रेक्टिकल परीक्षा में कथित रूप से पास करवा देंगे। यह सब कुछ हम नहीं कर रहे, बल्कि पालकों के मुंह से यह बातें निकलकर आ रही है।
यह दृष्टिकोण है पालकों का
इस संबंध में शहर के कुछ पालकों से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि-कक्षा 11 लोकल है और कक्षा 12 की तैयारियां अभी से निजी कोचिंग संस्थान पर करवा रहे हैं, ताकि बच्चा 12वीं में अच्छा परिणाम लाए और काम्पीटिटिव्ह एक्जाम में भी अव्वल आ जाए। ऐसा होने पर उसे आगे की पढ़ाई के लिए अच्छा कॉलेज मिल जाएगा जो कि नौकरी के लिए अच्छे केम्पस का प्लेटफार्म रहेगा?
इसीलिए पालक शहर के उन स्कूलों की तलाश करते हैं जहां डमी प्रवेश मिल जाए। बच्चा वहां केवल प्रेक्टिकल करने और प्रेक्टिकल परीक्षा देने जाएगा। शेष कार्य बगैर पढ़ाए पूरी फीस लेने वाले ऐसे कतिपय स्कूल करेंगे। वे फीस के बदले उसकी रोजाना उपस्थिति से लेकर लोकल परीक्षा का परिणाम तक तय कर लेंगे।
पालकों के अनुसार बच्चा सुबह से शाम तक कोचिंग जाएगा, इसलिए स्कूल जाने से रहा। यही कारण है कि वे पूरी फीस जमा करके अपने बच्चे का भविष्य सुरक्षित कर रहे हैं।
यह मांग उठ रही ऐसे माफियाओं के खिलाफ
इस बात को लेकर अनेक पालकों की शिकायतें सामने आ रही है। मांग भी उठ रही है। लोगों का आरोप है कि जो स्कूल केवल रूपयों के लिए डमी प्रवेश देकर बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे हैं,उनके खिलाफ कलेक्टर/डीईओ को कार्रवाई करना चाहिए। ऐसे स्कूलों के नाम सार्वजनिक हैं। अत: वहां जाकर जांच की जाएगी तो साफ हो जाएगा कि रजिस्टर में जितने सेक्शन बने हैं तथा जितने छात्रों की जानकारी दर्ज हैं,वे वास्तव में स्कूल आते ही नहीं है। ऐसी स्थिति में वे नियमित छात्र कैसे हो गए?
इस संबंध में चर्चा करने पर जिला शिक्षाधिकारी आनंद शर्मा ने कहा कि यदि कोई शिकायत आती है तो वे संबंधित स्कूल की जांच करवा लेंगे। इस प्रश्न पर कि रेण्डम जांच भी तो विभाग अपनी ओर से कर सकता है? उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी बीमार है ओर अस्पताल में भर्ती है। अत: वे बाद में चर्चा करेंगे….?