Friday, September 29, 2023
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भारत में बना दुनिया का पहला डैम, आज भी है पूरी तरह सुरक्षित

भारत में बना दुनिया का पहला डैम, आज भी है पूरी तरह सुरक्षित

बिहार में 1717 करोड़ का पुल गंगा में गिरने के बाद उज्जैन में डॉ. पोल ने बताई भारत की बेजोड़ इंजीनियरिंग

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:गंगा नदी में 1717 करोड़ लागत का निर्माणाधीन पुल गिरने की घटना के बीच उज्जैन में भारत की बेजोड़ इंजीनियरिंग का उदाहरण सामने आया है। वह यह कि दुनिया का पहला डेम भारत में मिट्टी और पत्थर से बना था, जो आज भी काम कर रहा है। ब्रिटिश शासनकाल में इसे ग्रैंड एनीकट नाम दे दिया गया था। इसे गलानाई डैम भी कहते हैं।

इस डैम की लंबाई 330 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है और यह करीब तीन चार हजार साल पहले बनाया गया था। जबलपुर के विज्ञानी, राष्ट्रीय चिंतक और संस्कृतिविद डॉ. प्रशांत पोल ने बताया चोल वंश के राजा करिकलन ने तमिलनाडु में कावेरी नदी पर दूसरी शताब्दी में बनाया था। ब्रिटिश शासनकाल में सर आर्थर कॉटन ने इस पर अध्ययन किया और इसकी ऊंचाई बढ़ाई और नाम दे दिया था ग्रैंड एनिकट।

इसे वंडर्स ऑफ इंजीनियरिंग माना जाता है। डेढ़ वर्ष पहले उन्होंने स्वयं इस डैम को सुरक्षित और काम करते देखा है। डॉ. पोल ने प्राचीन भारत में जल नियोजन और उज्जैन का महत्व विषय पर केंद्रित भारत विक्रम व्याख्यानमाला में ये बातें कहीं। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय, पुराविद् डॉ. रमण सोलंकी और अश्विनी शोध संस्थान के प्रमुख डॉ. आर.सी. ठाकुर, कार्यपरिषद सदस्य राजेशसिंह कुशवाह आदि उपस्थित थे।

चीन ने दीवार बनाई और भारत के राजा ने हूणों को खदेड़ा- डॉ. पोल ने चौंकाने वाला यह रहस्य भी बताया कि चीन ने चंद्रमा से दिखाई देने वाली सबसे बड़ी दीवार इसलिए बनाई थी ताकि हूणों के हमलों से रक्षा हो सके और भारत के राजा यशोवर्मन ने उन हूणों को ही बलूचिस्तान तक खदेड़ दिया था।

तो, बन सकता भारत का डिजनीलैंड…

डॉ. पोल ने कहा मालवा का जल नियोजन आश्चर्यजनक था। राजा यशोवर्मन के समय जल प्रबंधन पर बहुत प्रयोग हुए। समरांगण सूत्रधार में टरबाइन की टेक्निक का उल्लेख है और टरबाइन के बारे में बताया गया है कि पानी ऊपर से जितने वेग से गिरेगा, उतनी बिजली बनेगी। जर्मन लेखक डॉ. फेलिक्स होटर ने अपनी पुस्तक में समरांगण सूत्रधार को अदभुत बताया है। उन्होंने इस पर शोध में अपनी पूरी जिंदगी खपा दी। अमेरिका की मक्र्यूरी सोसायटी ने इसके 11 श्लोकों का अनुवाद किया है। डॉ. पोल ने दावा किया कि समरांगण सूत्रधार पर अगर काम किया जाए तो भारत का डिजनीलैंड बन सकता है। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा इस पर शोध कराने का प्रयास करेंगे।

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