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महिला बोली- अब जहर खाना ही बचा, दबंगों का सामना कैसे करें!
Sunday, October 1, 2023
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महिला बोली- अब जहर खाना ही बचा, दबंगों का सामना कैसे करें!

महिला बोली- अब जहर खाना ही बचा, दबंगों का सामना कैसे करें!

तीन बार जनसुनवाई और तीन बार सीएम हेल्प लाइन पर की शिकायत

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन एक महिला ने अपनी कृषि भूमि का सीमांकन करवाकर कब्जा लेने के लिए तीन बार जनसुनवाई में आवेदन दिया। वहीं तीसरी बार सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की। महिला और उनके पति के अनुसार उन्हे न्याय नहीं मिल रहा है। अब जहर खाना ही बचा है। दबंगों का सामना करें तो कैसे…।

मामला उज्जैन ग्रामीण तहसील का है। देवास मार्ग से कड़छा के लिए जानेवाले रास्ते पर ग्राम कड़छली है। यहां लक्ष्मी पति दिलीप मालवीय की 0.35 हेक्टेयर भूमि है। उसके पास यहां 8 बीघा जमीन थी। उसमें से 6 बीघा जमीन वह बेच चुकी है।

करीब 2 वर्ष से अस्वस्थ होने पर वह मौके पर नहींं जा पाई। 08 जून,23 की जनसुनवाई में तीसरी बार आवेदन लेकर पहुंची लक्ष्मी मालवीय ने अपने आवेदन में आरोप लगाया कि इसका लाभ उठाते हुए ग्राम धतरावदा निवासी अशरफ बी पति खुदा बख्श, शफी पटेल, टीना पति सुलतान, लियाकत, शकीला पति आजाद ने अवैधानिक रूप से जबरन ही उनकी भूमि पर कब्जा कर लिया। आरोप लगाया कि पटवारी अल्माज कुरेशी ने उनकी भूमि पर उक्त लोगों को काबिज करवा दिया। जोकि सात वर्षो से एक ही जगह पदस्थ हैं।

ये लोग उसकी भूमि पर कृषि कार्य कर रहे हैं। स्वास्थ्य ठीक होने पर जब वह मौके पर गई तो उसके साथ गालीगलोज करके दुव्र्यवहार संबंधितों ने किया। वह पिछले 2 वर्षो में 3 बार सीमांकन करने का आवेदन मय शुल्क के तहसील कार्यालय में कर चुकी है। उसे एक बार भी सीमांकन करने जाने हेतु मौके पर उपस्थित रहने की सूचना नहीं दी गई। उसे सीमांकन,नपती के अधिकार से वंचित रखा गया। मैरे पति से अवैध रूप से रूपयों की मांग भी की जाती है। मुझे अपनी जमीन का कब्जा वापस दिलवाया जाए।

हमारा काम कब्जा दिलाना है वहां खड़े रहकर सुरक्षा करना नहीं

इस संबंध में जब पटवारी अल्माज कुरैशी से चर्चा की गई तो उन्होने कहा कि- लक्ष्मी बाई ने बगैर सीमांकन के जमीन खरीदी थी। उसमें से 6 बीघा बेच दी। शेष भूमि का सीमांकन दो बार किया जा चुका है। कब्जा पत्र भी तैयार किया गया, लेकिन कोई मौके पर लेने नहीं आया। उन्होने पूर्व में भी जनसुनवाई ओर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की।

हाल ही में दो शिकायतें और की है। हम नपती करके सीमांकन करवाने और मौका कब्जा देने को तैयार हैं, फरियादी आए तो सही। वह केवल शिकायतों में ही समय जाया कर रहे हैं। तहसीलदार को सारी जानकारी है। वह स्वयं अब कलेक्टर को सारे दस्तावेजों के साथ अवगत करवाएंगे। यदि मौके पर वे कब्जा लेने से डरते हैं तो हम क्या कर सकते हैं। हमारा काम कब्जा दिलाना है, हमेशा वहां खड़े रहकर सुरक्षा करना नहीं।

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