अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। गर्मी ने दस्तक दे दी है और अब ठंडे पानी की दरकार है। ऐसे में शहर में देशी फ्रीज के नाम से मशहूर मिट्टी के मटकों की मांग भी शुरू हो गई है। मटका बनाने वाले कुम्हार अपने चाकों पर तेजी से हाथ चला रहे हैं। छोटे-बड़े विभिन्न डिजाइन वाले मटके-सुराहियां गढ़े जा रहे हैं।
गर्मी बढ़ते ही सड़कों पर मटकों की दुकानें लगने लगी हैं। इनमें छोटे-बड़े सभी प्रकार के मटके शामिल हैं। कुछ प्लेन हैं, तो कुछ पर कारीगरी की गई है। दरअसल, रेत व मिट्टी से निर्मित मटकों में पानी जल्दी ठंडा रहता है। इसलिए इसकी मांग भी ज्यादा रहती हैं। शहर में देवास रोड, इंदौर रोड, आगर रोड और मक्सी रोड पर मटकों की दुकानें लगने लगी हैं। हालांकि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष भाव अधिक हैं। गत वर्ष जो मटका 100 रुपए में बिक रहा था वह अब 150 रुपए में बिक रहा है।
उज्जैन के मटकों की अन्य जिलों में मांग
मटका बनाने वाले और बेचने वाले कुम्हार कैलाश प्रजापत ने बताया कि उज्जैन में बने मटकों की अन्य जिलों में भी भारी मांग हो रही है। इन दिनों इंदौर देवास,भोपाल, होशंगाबाद और अन्य जिलों में उज्जैन के मटके भेजे जा रहे हैं। इसी के चलते उज्जैन में मटकों की कीमत कुछ अधिक हो गई है। प्रजापत ने बताया कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी वैसे वैसे मटको की मांग भी बढऩे वाली है।