फरियादी पर दबाव बनाकर शिकायत वापस करवाई, 15 दिन तक लगवाए थाने के चक्कर
यह है पुलिस की कार्यप्रणाली…चोरी की रिपोर्ट लिखवाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में करनी पड़ी शिकायत…
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:थानों पर रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे फरियादियों के साथ पुलिस द्वारा किस प्रकार व्यवहार किया जा रहा है इसका उदाहरण पीजीबीटी कॉलेज के लेखापाल हैं। करीब ढाई माह पहले उनके घर में लाखों की चोरी हुई जिसकी रिपोर्ट नीलगंगा पुलिस ने नहीं लिखी तो उन्हें प्रधानमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराना पड़ी।
खास बात यह कि सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत को पुलिस ने आश्वासन देकर कटवा दिया और 15 दिन तक रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की। पुलिस की झांसेबाजी से परेशान लेखापाल शनिवार को जब थाने पहुंचकर जिद पर अड़े तो घंटों इंतजार कराने के बाद एफआईआर दर्ज हो पाई। महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर में पुलिस की इस कार्यप्रणाली से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण थानों की क्या स्थिति होगी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह था मामला:आलोक पिता तेजसिंह रघुवंशी 57 वर्ष निवासी संतराम सिंधी कालोनी सांवेर रोड़ पीजीबीटी कॉलेज में लेखापाल के पद पर पदस्थ हैं। आलोक रघुवंशी ने बताया कि 20 अप्रैल को उनकी रिश्तेदार आरती पति बृजेन्द्र रघुवंशी और उसकी बेटी आकांक्षा घर आई थीं।
उस समय घर में पत्नी अलका और बेटा शिखर मौजूद थे। आरती टायलेट के बहाने बेडरूम में गई और अलमारी खोलकर उसमें रखे सोने की अंगूठी, सोने की चैन, दो कान की सरे, कान के झाले आदि आभूषण कीमत करीब 4 लाख रुपये के चोरी कर लिये। अलका ने अलमारी खुली देखी तो लॉकर चैक किया जिसमें आभूषण नहीं थे।
पीएमओपीजी से सीएम हेल्पलाइन आई शिकायत
नीलगंगा पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं किये पर आलोक रघुवंशी ने प्रधानमंत्री हेल्पलाइन पीएमओपीजी पर शिकायत दर्ज कराई जहां से उनकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन को ट्रांसफर करने का मैसेज मोबाइल पर प्राप्त हुआ। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करीब दो माह तक लंबित रही। 15 दिन पहले राजेन्द्र सिंह तोमर ने आलोक रघुवंशी को थाने बुलवाया चोरी गये आभूषण की जानकारी ली। इस दौरान एएसआई तोमर ने आलोक को एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन दिया और सीएम हेल्पलाइन से शिकायत वापस करवा दी।
घंटों थाने पर बैठाया, काम के बोझ का झांसा भी दिया
सीएम हेल्पलाइन की शिकायत कटवाने के बाद नीलगंगा पुलिस ने 15 दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं की। आलोक रघुवंशी थाने के चक्कर काटते रहे। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई को थाने पर करीब 4 घंटे बैठा और रिपोर्ट दर्ज करने की जिद की। इस दौरान थाने में मौजूद पुलिसकर्मी कभी कम्प्यूटर खराब होने, इंटरनेट लाइन खराब होने और काम का बोझ अधिक होने का झांसा देते रहे लेकिन बाहर से आये एक पुलिसकर्मी ने मदद की और रात 9.15 बजे एफआईआर दर्ज हो पाई लेकिन पुलिस ने इसकी कॉपी भी उपलब्ध नहीं कराई।
तुरंत पुलिस को सूचना दी और नाम भी बताये थे
आलोक रघुवंशी ने बताया कि आरती की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से उसकी मदद करते थे। उसका घर पर आना जाना था। जब उसने आभूषण चोरी किये तो तुरंत नीलगंगा थाने पर इसकी सूचना दी। जांच करने आये एएसआई राजेन्द्र सिंह तोमर को आरती और उसकी बेटी आकांक्षा पर शंका की जानकारी भी दी। राजेन्द्र सिंह तोमर कुछ दिनों तक जांच का आश्वासन देते रहे लेकिन थाने में एफआईआर दर्ज नहीं हुई। थाने के चक्कर लगाने पर एएसआई तोमर सिर्फ जांच की बात कहते रहे।
चोरी के आभूषण कहां-कहां बेचे यह भी बताया था पुलिस को
आलोक रघुवंशी ने बताया कि आरती व आकांक्षा ने घर से चुराये जेवर जीरापुर में रहने वाले ज्वेलर कनिष्क को बेचे थे। उसके अलावा रतलाम व उज्जैन के सुनारों को भी चोरी के आभूषण बेचे थे। इसकी जानकारी पुलिस को दी लेकिन पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। वहीं दूसरी ओर रिश्तेदार आरती द्वारा फोन पर धमकी दी गई कि किसी भी थाने में शिकायत कर लो पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। एएसआई तोमर भी घर आये और बोले कि एफआईआर की जिद की तो तुम्हें और तुम्हारे बेटे को भी थाने में बैठा लेंगे।
थानों में एफआईआर दर्ज कराने में फरियादी को होने वाली परेशानी और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री हेल्पलाइन का सहारा लेने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज नहीं करने का मामला मेरी जानकारी में नहीं है। इसे मैं दिखवाता हूं। सचिन शर्मा, एसपी