दोस्त मदद मांगते रह गए और वह नदी में डूब गया
रामघाट पर फिर हादसा : सुबह 5 बजे की घटना,कोटा के छात्र की डूबने से मौत
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शिप्रा में स्नान कर रहे श्रद्धालुओं की मौत का सिलसिला गुरुवार को भी नहीं थमा। सुबह रामघाट पर कोटा से आए तीन युवा दोस्त नदी में नहाने उतरे। इनमें से एक युवक का पैर फिसला और वह गहरे पानी में डूबने लगा, दो दोस्तों ने किनारे पर खड़े लोगों को मदद के लिए आवाज लगाई लेकिन कोई बचाने नहीं आया और साथी डूब कर मर गया।
यह घटना गुरुवार सुबह लगभग 5 बजे की है। रामघाट पर राजस्थान के कोटा शहर से तीन छात्र दोस्त गौरव पिता घनश्याम सेन उम्र 18 वर्ष, संत मीणा पिता जगदीश तथा अर्जुन प्रजापति स्नान के लिए पहुंचे। पानी में उतरने के बाद यह तीनों गहरे पानी के पहले लगाए गए चेतावनी संकेतक के दायरे में नहाने लगे उसी दौरान इनमें से एक दोस्त गौरव सेन का पैर फिसलने से वह गहरे पानी में चला गया।
दोस्तों के मुताबिक गौरव ने यहां बंधी रस्सी को भी पकडऩे का प्रयास किया लेकिन चिकनी होने के कारण वह भी हाथ से छूट गई और कुछ ही देर मेें गहरे पानी में डूबने से गौरव की मौत हो गई। करीब 15 से 20 मिनट तक गौरव के दोनों दोस्त किनारे पर खड़े लोगों को मदद के लिए पुकारे रहे लेकिन कोई नहीं आया।
इसके बाद वहां होमगार्ड का एक जवान पहुंचा तथा दोनों दोस्तों ने घटना के बारे में बताया। होमगार्ड के जवान ने गौरव को तलाशने के लिए गोताखोर नानू कहार को बुलाया। उसकी मदद से गौरव को बाहर निकाला गया, लेकिन जब तक वह मर चुका था।
रात 11 बजे चले थे : दोस्त संत मीणा ने बताया हम कोटा से रात 11 बजे ट्रेन में बैठे थे और गुरुवार सुबह 4 बजे उज्जैन पहुंचे, वे 5 बजे रामघाट स्नान करने आए। तीनों १२वीं के छात्र है और घर पर बताकर आए थे कि वे उज्जैन जा रहे हैं। स्नान के बाद देव दर्शन का प्लान था।
न डॉक्टर मिला ना ही एंबुलेंस आई
जैसा की संत मीणा ने बताया कि गौरव को जब गोताखोर ने नदी से बाहर निकाला तब दोनों दोस्तों ने उसे थैरेपी देने का प्रयास किया। पानी निकालने के लिए पेट दबाया और श्वांस भी दी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। घाट पर न तो डॉक्टर था और ना ही किसी ने एंबुलेंस को बुलाया। डूबते वक्त जब हम लोगों को पुकार रहे थे तो भीड में से कुछ लोग कह रहे थे कि पुलिस के झमेले में कौन पड़ेगा। दोस्तों ने बताया कि मृतक के पिता घनश्याम सेन को खबर दे दी गई और वे उज्जैन आ रहे हैं।
उस पार थे जवान
प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया कि रामघाट पर जिस वक्त यह घटना घट रही थी उस दौरान घाट पर पुलिस या होमगार्ड का कोई जवान नहीं था। एसडीआरएफ के जवान भी सामने दत्तअखाड़ा क्षेत्र की ओर थे। हालांकि घटना से पहले जब तीनों दोस्त नदी में नहा रहे थे उस दौरान होमगार्ड के जवान देवकरण ने तीनों को किनारे पर बैठ नहाने का कहा था और वह वहां से चला गया था।
जिम्मेदार कौन…पार्षद बैठी धरने पर
शिप्रा में लगातार हो रही लोगों की मौत का आखिर जिम्मेदार कौन है इसी सरोकार से अक्षरविश्व लगातार घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था की खबरे लगातार प्रकाशित कर रहा है। ताकि जिम्मेदार नींद से जागे। इधर घटना के बाद पार्षद राजेश माया त्रिवेदी नगर निगम मुख्यालय के गेट पर विरोध स्वरूप धरने पर बैठ गई थी। उनका सवाल भी यहीं था कि आखिर शिप्रा में मौतों का सिलसिला कब थमेगा। जिम्मेदार कब जागेंगे।