Tuesday, November 28, 2023
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रिटर्न में क्रिप्टो करेंसी की पूरी जानकारी देना होगी

आयकर विभाग ने नया शेड्यूल वीडीए जोड़ा

रिटर्न में क्रिप्टो करेंसी की पूरी जानकारी देना होगी

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:आयकर विभाग ने आयकर फार्म 2, 3, 5, 6 और 7 में परिवर्तन कर नया शेड्यूल वीडीए जोड़ा गया है, जिसमें इस प्रकार की एसेट से संबंधित पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। इसमें क्रिप्टो करेंसी पूरी जानकारी देना भी शामिल है।

करदाताओं के लिए कई नियमों में बदलाव किया गया है। कर निर्धारण वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करते समय करदाताओं को विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखना होगा कि अपने रिटर्न में क्रिप्टो करेंसी अथवा अन्य वर्चुअल डिजिट डिजिटल एसेट से आय की पूरी जानकारी अलग से वीडीए शेड्यूल के अंतर्गत दी है अथवा नहीं।

कर सलाहकार पीके दास मुताबिक इस बार आयकर विभाग ने आयकर फार्म 2, 3, 5, 6 और 7 में परिवर्तन कर नया शेड्यूल वीडीए जोड़ा गया है, जिसमें इस प्रकार की एसेट से संबंधित पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। इस जानकारी के अंतर्गत वर्चुअल डिजिटल असेट्स की खरीद बिक्री की तारीख, राशि इत्यादि की जानकारी अलग करके दिखानी होगी। करदाता को इस संबंध में ए आइएस एनुअल इंफार्मेशन स्टेटमेंट एवं टीआइएस की मदद लेनी चाहिए।

यह इस बात की पुष्टि करता है कि टीडीएस के अंतर्गत आने वाली वर्चुअल डिजिटल असेट्स की आय आयकर रिटर्न में उचित रूप से दिखाई गई है अथवा नहीं। करदाता ऐसी डिटेल के लिए फार्म 26 एएस की भी मदद ले सकते हैं। करदाता को यह बताना होगा के इस प्रकार की आय को वह अपनी बिजनेस की आय मानते हैं या अपनी कैपिटल गैन से आय मानते हैं। इसका वर्गीकरण किया जाना चाहिए। इस प्रकार उस आय को संबंधित आय मद की रिपोर्ट में दर्शाना अनिवार्य है। अगर करदाता ने ऐसी असेट्स की जानकारी पृथक रूप से नहीं दी है तो उसे आयकर विभाग का नोटिस प्राप्त हो सकता है, जिससे करदाता को परेशानी आ सकती है।

टैक्स देनदारी नही हो तो फाइल करें निल रिटर्न

जानकारों के अनुसार कई लोगों को यह गलतफहमी होती है यदि उनकी वार्षिक आय 5 लाख से कम है तो उनको अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी नहीं है। यह एक भ्रम है अगर आप की वार्षिक आय सालाना 5लाख से कम हैं तो आपको टैक्स नहीं देना पड़ता परंतु अगर आपकी आए ढाई लाख रुपए वार्षिक से अधिक है तो आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होता है।

वार्षिक आय ढाई लाख से अधिक है तो 31 जुलाई से पहले पहले अपना आयकर रिटर्न जरूर दाखिल करें नहीं तो आपको लेट फीस चुकानी पड़ सकती है। चूंकि 5 लाख तक की आय पर आयकर की कोई देनदारी नहीं आती है परंतु रिटर्न भरना अनिवार्य होता है। तो ऐसी स्थिति में जो रिटर्न भरा जाएगा उसे निल रिटर्न कहा जाता है। क्योंकि उस पर टैक्स की कोई भी देनदारी नहीं होती है। निल रिटर्न भरने के भी अपने कई फायदे हैं।

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