Friday, September 22, 2023
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शिक्षकों के समक्ष चुनौती अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को पहले अंग्रेजी में पढ़ाओ फिर हिंदी में समझाओ

शिक्षकों के समक्ष चुनौती अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को पहले अंग्रेजी में पढ़ाओ फिर हिंदी में समझाओ

नवाचार: उज्जैन में प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल जहां हो रही है नव प्रवेशार्थियों की काउंसलिंग…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर का शासकीय उत्कृष्ट उमावि, माधवनगर प्रदेश का ऐसा पहला शासकीय स्कूल है,जहां कक्षा 9वीं में नव प्रवेशार्थियों की उनके माता-पिता के साथ काउंसलिंग हो रही है। प्रदेश में शासकीय स्कूलों में साधारणतया शिक्षक घर-घर जाकर प्रवेशार्थियों की संख्या बढ़ाने का काम करते हैं। काउंसलिंग आमतौर पर नहीं होती है।

यह दावा किया है विद्यालय के प्राचार्य संजय त्रिवेदी ने। उनके अनुसार इस वर्ष उत्कृष्ट उमावि में प्रवेश के लिए सम्पन्न परीक्षा के आधार पर भोपाल से 240 विद्यार्थियों की कक्षा 9वीं में प्रवेश हेतु सूची मिली थी। उन्होने 22 मई 20-20 की संख्या में नव प्रवेशार्थियों को उनके माता-पिता के साथ बुलवाया और काउंसलिंग की। पढऩे के उद्देश्य के साथ विद्यालय के प्रति उनकी जिम्मेदारी से अवगत करवाया।

अनुशासन, शत-प्रतिशत उपस्थिति और शत प्रतिशत परिणाम देने की योजना पर बात की। उन्हे बताया कि विद्यालय में सिस्टम कैसे चलता है तथा कौन-कौनसी गतिविधियां वर्षभर होती है। शिक्षा से इतर अन्य गतिविधियों में भी रूचि अनुसार शामिल होना होगा। खेल गतिविधियों पर चर्चा कर भविष्य के लाभ गिनाए। अनुशासन हिनता पर होनेवाले नुकसान से भी अवगत करवाया। सही कटिंग, तय गणवेश और अच्छी भाषा का उपयोग पहले दिन से आवश्यक बताया। काउंसलिंग का काम नियमित रूप से अवकाश के दिन छोड़कर अभी भी जारी है।

श्री त्रिवेदी के अनुसार इस वर्ष भी कक्षा 9वीं में नव प्रवेशार्थियों में अंग्रेजी माध्यम से पढऩे वालों की संख्या अधिक है। आयसीएससी, सीबीएससी (मिशनरी एवं अन्य) स्कूलों से आए विद्यार्थियों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई जारी रखने की जीद सी थी। जब उनसे गाय पर निबंध हिंदी ओर अंग्रेजी में अलग-अलग सुनाने को कहा गया तो वे अंग्रेजी में गड़बड़ा गए। इसलिए क्योंकि जो कहा, उसका हिंदी अर्थ ही उन्हें नहीं पता था।

विद्यार्थियों ने ही बताया कि वे रट्टा लगाते हैं, अभी तक ऐसे ही यहां तक पहुंचे हैं। उनके माता-पिता ने कहाकि उनके बच्चे पढ़ते अंग्रेजी माध्यम में हैं लेकिन कक्षा में हिंदी में अर्थ नहीं बताया तो कुछ नहीं समझ पाएंगे। अब शिक्षकों के समक्ष चुनौती आ गई कि अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को पहले अंग्रेजी में पढ़ाओ और बाद में हिंदी में समझाओ।

माता-पिता को समझाने की कोशिश की लेकिन उनका कहना था कि पढ़ाएंगे तो अंग्रेजी माध्यम में ही। स्टॉफ ने तय किया है कि कक्षाएं प्रारंभ होने के बाद एक सप्ताह पढ़ाई करवाएंगे और आवश्यक लगने पर चिंहित विद्यार्थियों के पालकों को पुन: बुलाकर काउंसलिंग करेंगे।

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