शिप्रा में नहाने आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 3 शिफ्ट में होमगार्ड, एसडीआरएफ के 33 जवानों की रहती है ड्यूटी
8 किमी के घाट… सुरक्षा के लिए सिर्फ 11 जवान
इंदरसिंह चौहान.उज्जैन:भूखी माता घाट से लेकर छोटे पुल तक शिप्रा नदी के दोनों किनारे घाटों की लंबाई लगभग 8 किमी है। यहां स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए तीन शिफ्टों में होमगार्ड और एसडीआरएफ के 33 जवान लगाए जाते हैं। जबकि एक शिफ्ट में 11 जवान तैनात रहते हैं।
वहीं शिप्रा में रोजाना औसतन तीन हजार से अधिक लोग स्नान करते हैं। ऐसे में करीब 90 श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए केवल एक जवान उपलब्ध रहता है। शिप्रा में लगातार डूबने से हो रही मौतों के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि सिंहस्थ 2016 के दौरान त्रिवेणी से लेकर मंगलनाथ मंदिर तक घाटों का सौंदर्यीकरण एवं नए निर्माण कराए गए थे। उस दौरान जल संसाधन विभाग ने करीब 5 किलोमीटर लंबे नए घाट बनवाए थे। इसके साथ ही 4.78 किलोमीटर लंबे पुराने घाटों की मरम्मत करवाई थी।
सभी घाटों पर लाल पत्थर लगवाया था। इस कार्य पर 159 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सिंहस्थ के बाद से ड्यूटी पर रहने वाले जवानों को घाटों पर एक स्थान पर तैनात नहीं किया जाता, बल्कि उनसे सतत् पेट्रोलिंग कराई जाती है ताकि प्रत्येक घाट पर नजर रखी जा सके और आवश्यकता पडऩे पर डूब रहे लोगों को बचाया जा सके।
पहले 15 थे अब 33 हो गए
पिछले एक सप्ताह से लगातार शिप्रा में डूबने से श्रद्धालुओं की मौत होने लगी तो सुरक्षा के लिए जिला होमगार्ड ने जवानों की संख्या घाटों पर सुरक्षा के लिए बढ़ा दी। गत सप्ताह रविवार तक एक शिफ्ट में होमगार्ड के 5 जवान तथा 3 शिफ्टों में 15 जवान लगात जाते थे, लेकिन सोमवार से विभाग ने एक शिफ्ट में 5 होमगार्ड के जवानों के साथ एसडीआरएफ के प्रशिक्षण प्राप्त 6 जवानों की और ड्यूटी शुरू दी है। इसके बाद तीनों शिफ्ट में होमगार्ड के 15 जवानों के अलावा एसडीआरएफ के 18 जवान कुल मिलाकर 33 जवानों की तैनाती होने लगी है।
सवा किमी के दायरे में एक सुरक्षाकर्मी
जिला होमगार्ड कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक 8 किलोमीटर के घाट की लंबाई दोनों साईड की मिलाकर 16 किमी के दायरे में फैली हुई है। जबकि प्रमुख घाटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की 24 घंटे सुरक्षा के लिए तीन शिफ्टों में 33 जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है। इनमें होमगार्ड और एसडीआरएफ के जवान शामिल रहते हैं। लेकिन 16 किलोमीटर के दायरे में एक शिफ्ट में 11 जवानों की ड्यूटी रहती है। ऐसे में प्रत्येक जवान को करीब सवा किलोमीटर दायरे में घाटों की निगरानी और सुरक्षा करनी होती है। इस कारण वे समय पर डूब रहे व्यक्ति को मदद के लिए अधिकांश समय पहुंच नहीं पाते और मौतें हो जाती है।
इन घाटों पर अक्सर होती है घटनाएं
भूखीमाता घाट से लेकर छोटे पुल तक शिप्रा के घाटों की दोनों साइड की लंबाई कुल मिलाकर करीब 16 किमी है। इस दायरे में भूखी माता घाट, कर्कराज मंदिर क्षेत्र, नृसिंह घाट, सिद्धाश्रम घाट, गुरुनानक घाट, दत्त अखाड़ा घाट, सोमतीर्थ कुंड और रामघाट, संत रविदास घाट, गंगा घाट शामिल हैं। इन घाटों पर प्रतिदिन औसतन 3 हजार से ज्यादा श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं। सुरक्षा कर्मियों की कमी के कारण आए दिन लोगों की डूबने से मौत होती रहती है।
शिप्रा नदी के घाटों की लंबाई दोनों ओर की मिलाकर लगभग 16 किलोमीटर है। पिछले रविवार को एक शिफ्ट में 5 होमगार्ड जवानों की ड्यूटी निर्धारित थी। सोमवार से इनके साथ एसडीआरएफ के 6 जवानों की और तैनाती की गई है। इससे एक शिफ्ट में 11 और तीनों शिफ्ट के मिलाकर 33 जवान तैनात किए जा रहे है। घाटों की लंबाई को देखते हुए जवानों को सतत पेट्रोलिंग के निर्देश रहते है। संतोष कुमार जाट जिला कमांडर, होमगार्ड, उज्जैन