Monday, December 11, 2023
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शिव-पार्वती की जोड़ी है कपल्स के लिए आदर्श, जानें क्यों?

भगवान शिव और माता पार्वती गृहस्थ जीवन के आदर्श हैं। भगवान भोलेनाथ को तो गृहस्थ का देवता माना जाता है। लड़कियां अच्छे और मनचाहे वर को पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करती हैं। महिलाएं भी पति की लंबी उम्र के लिए महाशिवरात्रि पर व्रत रखती हैं। महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था। शिव पार्वती का वैवाहिक जीवन हमेशा ही हर जोड़े के लिए आदर्श रहा है। अगर आप भी सुखी दांपत्य जीवन चाहते हैं तो शादीशुदा जोड़े को माता पार्वती और भोलेनाथ के जीवन से जुड़ी कुछ बातें जरूर सीखनी चाहिए।

कैसी होती है आदर्श पत्नी

माता पार्वती शिवजी की अर्धांगनी हैं। भोले बाबा अक्सर अपनी तपस्या में लीन रहते हैं लेकिन माता पार्वती उनकी अनुपस्थिति में परिवार, अपने पुत्रों और सभी देवी-देवताओं समेत सृष्टी की देखभाल करती हैं। पार्वती जी ने सुख सुविधाओं से दूर अपने पति के जीवन को खुशी से अपनाया। गृहस्थ जीवन में हर पत्नी को पति संग सुख दुख में साथ रहने की सीख पार्वती जी देती हैं। सुख सुविधाएं नहीं, बल्कि पति का साथ आदर्श सुखी जीवन के लिए जरूरी है।

पति और पत्नी एक हैं

भगवान भोलेनाथ को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है। अर्धनारीश्वर का मतलब है, आधा पुरुष और आधा स्त्री होना। कहा जाता है कि एक बार भगवान भोलेनाथ ने अर्धनारीश्वर का रूप लिया था। उनका ये रूप हर शादीशुदा जोड़े के लिए एक सीख है, जो यह दर्शाता है कि भले ही पति-पत्नी का शरीर अलग हो लेकिन मन और आत्मा एक ही हैं। इसलिए हर पति-पत्नी को समान अधिकार, समान सम्मान मिलना चाहिए। अक्सर कपल्स में झगड़ों की एक वजह खुद को साथी से बड़ा साबित करना होता है।

प्यार में अहंकार की कोई जगह नहीं 

शिव का प्रेम सरल है, सहज है। उसमें समर्पण के साथ सम्मान भी है। शिव प्रथम पुरुष हैं, फिर भी उनके किसी स्वरूप में  मेल ईगो नहीं झलकता। सती के पिता दक्ष से अपमानित होने के बाद भी उनका मेल ईगो उनके दांपत्य में कड़वाहट नहीं जगाता। अपने लिए न्यौता नहीं आने पर भी सती के मायके जाने की जिद का शिव ने सहजता से सम्मान किया।

जन्मों तक साथ निभाना 

सती अपने पिता के घर में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकीं। उसका अपने पिता से झगड़ा हो गया। तब सती ने अपने शरीर को जला दिया और फिर से हिमाचल में पार्वती के रूप में जन्म लिया। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की। भगवान् शंकर ने भी कई वर्षों तक माता पार्वती का इंतज़ार किया । इसीलिए विवाह में भगवान शिव और पार्वती के आदर्श विवाह की बात कही जाती है। पार्वती ने दोबारा भगवान शिव से विवाह किया और यह सिलसिला चलता रहा।

बाहरी सुंदरता नहीं अंतर्मन से प्रेम करें 

माता पार्वती एक खूबसूरत राजकुमारी थीं और भोलेनाथ भस्मधारी, गले में सर्प की माला पहनने वाले वैरागी थे। फिर भी माता पार्वती भगवान भोलेनाथ से प्रेम करती थीं। वे उनके रंग रूप से नहीं बल्कि उनके स्वभाव, निर्मल मन और भोलेपन से प्यार करती थीं। गृहस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि कपल एक दूसरे के मन से प्यार करें न कि उनके रंग रूप और पैसों को अहमियत दें।

आज के मॉडर्न कपल्स को अगर जीवन भर एक दूसरे के साथ रहने की इच्छा है तो शिव-पार्वती की जोड़ी से इन बातों को सीखना चाहिए।

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