शहर के लिए क्राऊड मैनेजमेंट, ट्रैफिक प्लानिंग की दरकार
सामान्य दिनों में ही यातायात व्यवस्था ध्वस्त
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन| मंदिरों की नगरी में जनसमूह के आने का क्रम टूटता नहीं है। शहर की अस्त-व्यस्त यातायात,तंग गलियों,सड़कों और अतिक्रमण से सामान्य दिनों में ही शहर की यातायात व्यवस्था प्रतिदिन ध्वस्त रहती है। ऐसे में श्रावण मास और वह भी अधिकमास। ऐसे में श्रावण मास न केवल शहरवासियों के लिए बल्कि प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौती भरा रहने वाला है। सामान्य दिनों में ही यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है तो,श्रावण के ५९ दिनों में क्या होगा..? क्योंकि क्राऊड मैनेजमेंट व ट्रैफिक की चुनौती है।
इसकी प्लानिंग की दरकार
श्रावण मास चार जुलाई से शुरू होने जा रहा है। इसके बाद श्रावण के अधिक मास की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में श्रावण के 59 दिनों में सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना भीड़ बढऩे की पूरी संभावना है। वर्तमान में शहर के यह हालात है कि यातायात व्यवस्था रोज ध्वस्त हो रही है। शहर के पूराने क्षेत्र के लगभग सभी मार्ग व गलियों में दिनभर जाम लगता है। श्रावण के पूरे 59 दिन पुलिस के लिए क्राऊड मैनेजमेंट,ट्रैफिक प्लानिंग की दरकार है,लेकिन इसकी कमी दिख रही है। एनवक्त पर बैरिकेडिंग से रास्ते बंद कर और अधिक जाम बढ़ाया जाएगा।यातायात के इस दबाव को कैसे मैनेज करे इसे लेकर अभी तक कोई ठोस प्लानिंग नहीं की जा रही है।
यह अन्दाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शांति समिति की बैठक में ऐनवक्त पर आमंत्रित सदस्यों को चर्चा का जो एजेंड़ा दिया गया,उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं था। केवल श्रावण मास की तैयारी का उल्लेख किया गया था। शांति समिति द्वारकाधीश चौधरी के अनुसार सावन के अधिक मास को लेकर प्रशासन-पुलिस की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। इस मास का अपना महत्व है और पूरे शहर में श्रद्धालुओं एक माह तीर्थाटन होगा। अधिकांश धार्मिक स्थान शहर के पूराने हिस्से में है।
श्रद्धालुओं का आगमन इस बार श्रावण परेशानी का कारण बन सकता है। दरअसल शहर के अधिकांश मार्गों पर सामान्य दिनों में ही जाम लगा रहता है। किसी भी मार्ग पर एक छोटी सी यात्रा के चलते जाम लग जाता है। इस जाम और यातायात व्यवस्था को गलियों में घुसने वाले ई रिक्शा व ऑटो-कार वाले बढ़ा देते है। अगर काऊड और ट्रैफिक मैनेजमेंट को लेकर ठोस प्लानिंग नहीं की गई,तो श्रावण और अधिक मास में बाहर से आने वालों के साथ ही स्थानीय रहवासियों को भी बड़ी परेशानी का सामान करना पड़ सकता है।
यह परिवर्तन करना होगा
- दो पहिया व पैदल आने-जाने वालों को ध्यान में रखते हुए तीन पहिया व चौपहिया वाहन गलियों में घुसने से रोकना होगा।
- श्रावण और अधिक मास को देखते हुए पुराने शहर के कुछ मार्गों को वन-वे करना चाहिए।
- श्रावण व सवारी के पूर्व महाकाल मंदिर क्षेत्र व सवारी मार्ग पर रहने वाले रहवासी व व्यापारियों के साथ यातायात व्यवस्था को लेकर सुझाव व प्लानिंग की जाना चाहिए ताकि एनवक्त पर बेतरतीब बैरिकेडिंग से और समस्या खड़ी न हो।
ऑटो, ई- रिक्शा वाले के संचालन पर नियंत्रण करना होगा
अधिक मास में एक माह तक श्रद्घालु नौ नारायण, सप्त सागर व चौरासी महादेव मंदिरों में दर्शन, पूजन के लिए आएंगे। पुराण प्रसिद्घ अवंतिका को पुरुषोत्तम धाम की मान्यता है। अधिकमास में अवंतिका तीर्थ में आराधना व दान पुण्य करने से महाफल की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता के चलते प्रत्येक तीन वर्ष में आने वाले अधिकमास के समय देशभर से श्रद्घालु यहां तीर्थाटन के लिए आते हैं।
उज्जैन में उत्तरवाहिनी शिप्रा, नवनारायण, 84 महादेव, सप्त सागर, अष्ट महाभैरव,षट्विनायक आदि होने के कारण अधिक मास का विशेष महत्व है। नव नारायण, अधिकमास के दौरान नौ नारायण, चौरासी महादेव व श्रीकृष्ण मंदिरों में दर्शन तथा सप्त सागरों के पूजन का विधान है।
खास बात यह है कि उक्त अधिकांश धार्मिक स्थल शहर के पूराने हिस्से में है। अधिकमास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इसमें धर्म कार्य का महापुण्य प्राप्त होता है। उज्जैन के सप्त सागरों के तीर्थाटन के साथ अलग-अलग दान की महिमा है। ऐसे में बड़ी संख्या में स्थानीय और बाहर के श्रद्धालुओं का धार्मिक स्थलों तांता लगने वाला है। सुबह से लेकर दोपहर तक पूजन का सिलसिला चलता है। श्रद्धालु अलग-अलग क्षेत्र और दिशा में स्थित धार्मिक स्थानों तक पहुंचने के लिए वाहनों का उपयोग करते है।