उज्जैन। श्रीमद्भागवत में महात्मा धु्रव का चरित्र अद्भुत है। हमें बच्चों को धु्रव से लगातार परिचित कराना चाहिए ताकि वे जीवन में धु्रव की भांति एकाग्र होकर अपने लक्ष्य उसी प्रकार प्राप्त कर सकें जिस प्रकार ईश्वर भक्ति पर अटल रहकर धु्रव ने ईश्वर कृपा पाई थी।
यह बात मानस मर्मज्ञ पं. श्याम मनावत ने अंकपात स्थित महेश धाम गौशाला परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कही। उन्होंने कहा कि अपनी मां की आज्ञा से पांच वर्ष की अल्पायु में धु्रव ने कठिन तप कर अपने आराध्य भगवान विष्णु के दर्शन किए थे।
उनकी निर्मल और अडिग भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें सदा आकाश में चमकने वाले धु्रव तारे के रूप में प्रतिष्ठित किया। आरती में आयोजन समिति के नवल माहेश्वरी, राजेश डागा, ओम पलोड़ ने परिवार सहित आरती की। आरती में अतिथि के रूप में प्रेस क्लब अध्यक्ष विशाल हाड़ा, वरिष्ठ पत्रकार विवेक चौरसिया, हर्ष जायसवाल, प्रशांत सोनी, चित्रकार अक्षय आमेरिया, अशोक प्रजापत, अनिल जैन कालूहेड़ा, जगदीश पांचाल, विक्की यादव सहित कई गणमान्य जन उपस्थित थे।