मैं हिंदुस्तान की आजादी का गवाह हूं, कई के कर्मों के हिसाब होते मैंने देखे..लेकिन अब जर्जर हो गया हूं….
अब खुद बता रहा है अपनी दास्तां….
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन मैं हिंदुस्तान की आजादी का गवाह हूं.. आजादी के पहले से 21 वीं सदी में आने तक कइयों के कर्मों के हिसाब होते हुए मैंने देखे हैं। मैंने देखी है मुझ पर पड़ी अंग्रेजों की बुरी नजर लेकिन मैं आजाद रहा। अब भी आजाद हूं लेकिन अब थक गया हूं. इतना जर्जर हो गया हूं कि कभी भी बिखर सकता हूं।
19 वीं सदी के पहले दशक में सिंधिया राजघराने के द्वारा निर्मित कोठी महल का छज्जा फिर एक ही दिन में दो बार बुधवार को भर भराकर गिरा। शायद कोठी महल अब खुद बोलने लगा है कि जर्जर हो गया हूं अब जीर्णोद्धार करना बेहद जरूरी है। अपितु इसे खंडहर बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसके पहले भी जब इस भवन में कलेक्टर कार्यालय लगता था तो अधिकारियों के कमरे में छत का छज्जा गिर जाता था। इसकी आयु पूर्ण होने और इसकी अवस्था को देखते हुए ज्यूडिशियल का नया भवन और इसके बाद नया प्रशासनिक भवन बना व कोठी महल खाली कर दिया गया।
वर्तमान में इस भवन में केवल लोकायुक्त कार्यालय शेष बचा है इसके अलावा कमिश्नर कार्यालय के दस्तावेज अभी शिफ्ट नहीं हुए हैं। कोठी महल में 90 कमरे हैं और एक बड़ा हॉल है। जहां बार एसोसिएशन का कार्यालय हुआ करता था। इसी के मुख्य गेट के सामने छत का छज्जा गिरा है। पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि जब बार यहां लगती थी तब भी कईं बार छत का छज्जा गिरा था। इसी वजह से नए कोर्ट भवन की मांग उठाई गई थी। नया कोर्ट भवन और प्रशासनिक भवन तो बन गया लेकिन कोठी महल का जीर्णोद्धार भी अति आवश्यक है।
रातों रात कचहरी शुरू हुई थी वरना अंग्रेज कर लेते कब्जा
कोठी महल में आजादी के पहले से कचहरी लगती है। आजादी से पूर्व एक समय अंग्रेज इस पर आधिपत्य करना चाहते थे। यह जानकारी सिंधिया परिवार को मिली तो उन्होंने महाराजवाड़ा में लगने वाली कचहरी को रातों रात कोठी महल में शिफ्ट कर दिया और अंग्रेजों को बताया गया कि यहां कचहरी लगती है। तभी से इस भवन का उपयोग कोर्ट के रूप में किया जाता रहा।
हेरिटेज होटल बनाने वाले थे, फिर पुरातत्व संग्रहालय बनाने की चर्चा लेकिन कोई निर्णय नहीं
ऐतिहासिक भवन कोठी महल जब खाली हुआ तो इसे हैरिटेज होटल बनाने का निर्णय हुआ था। जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चर्चा यह भी हुई कि इसे भोपाल के मिंटो हॉल की तरह विकसित किया जाएगा। हालांकि पर्यटन विभाग ने किन्हीं कारणों से इसे हैरिटेज होटल में शामिल नहीं किया। फिर तय हुआ कि इस ऐतिहासिक धरोहर को पुरातत्व संग्रहालय बनाया जाएगा। इस निर्णय को कई महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक इस पर भी निर्णय नहीं हुआ है।
राज्य शासन के निर्देशानुसार कोठी महल पर्यटन विभाग को हस्तांतरण करने का निर्णय हुआ है। शीघ्र ही औपचारिकताएं पूर्ण कर हैंडओवर किया जाएगा।
कुमार पुरुषोत्तम, कलेक्टर