एडिबल-नॉन एडिबल बर्फ में फर्क करना मुश्किल बनाने के नियम सख्त,पर देखने वाला कोई नहीं…
अक्षरविश्व प्रतिनिधि .उज्जैन।सावधान…शीतलता की चाहत में कहीं आपको बर्फ का उपयोग भारी न पड़ जाएं। खाद्य योग्य (एडिबल) और अखाद्य (नॉन एडिबल) बर्फ में फर्क करना मुश्किल हैं। हर जगह एक समान (सफेद बर्फ) की बिक्री हो रही हैं। गर्मी के आते ही बर्फ का निर्माण और उपयोग बढ़ गया हैं।
बर्फ बनाने,बेचने और उपयोग के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की सख्त गाइड लाइन और नियम हैं। इस पर किसी का ध्यान भी नहीं हैं। गर्मी बढऩे के साथ ही शीतल पेय की चाह में बर्फ का चलन बढ़ गया है। ज्यूस सेंटरों, गन्ना रस दुकान, ठंडे पेय पदार्थ के दुकानों में इनका बड़ी पैमाने में उपयोग हो रहा हैं। लोग बर्फ की चुस्कियां ले रहे हैं। किसी को यह पता नहीं है कि बर्फ खाने योग्य है, की नहीं।
अलग-अलग रंग निर्धारित
कौन सी बर्फ खाने योग्य और कौन सी नहीं यह जानने के लिए एफएसएसएआई ने बर्फ के रंग का निर्धारण किया हैं। यह नियम हैं कि खाने योग्य बर्फ पूरी तरह से सफेद होना चाहिए। सामान्य उपयोग में लाए जाने वाला बर्फ नीला होना चाहिए। नीले बर्फ के निर्माण के लिए निश्चित मात्रा में केमिकल के उपयोग की अनुशंसा की गई। शहर में सभी काम सफेद बर्फ के माध्यम से हो रहा है।
बर्फ की जांच नहीं
शहर में गर्मी के मौसम में लगभग 50 से 75 टन बर्फ की खपत होती है। इसमें खाने योग्य बर्फ कितनी हैं यह हर किसी को पता नहीं हैं। बर्फ की गुणवत्ता की पहचान के साथ इसके दुरुपयोग पर भी लगाम लगाने के लिए एफएसएसएआई गाइडलाइन तय कर रखीं हैं। फिलहाल इनका पालन नहीं हो रहा हैं। खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्रशासन विभाग को समय-समय पर बर्फ के मानक व अमानक होनी की जांच करनी होती है। इसके बाद भी अभी तक बाजार में बेची जा रही बर्फ की जांच नहीं की गई है। जिले में कई आइस फैक्ट्री हैं, जहां बड़े पैमाने पर बर्फ की सिल्ली बनाई जाती है। बर्फ बाजार में खूब बिक रहा है।
एडिबल बर्फ का उपयोग
शीतल पदार्थ, शेक, ज्यूस, शिकंजी और गन्ने के रस में डालने और खानपान में इस्तेमाल होता है।
नॉन एडिबल बर्फ का इस्तेमाल…
दवाइयों को ठंडा रखने, सी फूड को प्रिजर्व रखने, शव गृह, फैक्ट्रीज व अन्य कैमिकल फैक्ट्रियों में होता है।
एफएसएसएआई की गाइड लाइन…
- खाद्य योग्य (एडिबल) बर्फ बनाने वाली फैक्ट्रियों को भी लाइसेंस लेना होगा। आरओ का पानी इस्तेमाल करने के साथ हाइजीन व सैनिटेशन का भी ध्यान रखना होगा।
- अखाद्य (नॉन एडिबल) बर्फ बनाने वालों को बर्फ बनाने के लिए तय मात्रा में नीले रंग का प्रयोग करना होगा।
- दो हजार किलो तक प्रति दिन बर्फ तैयार करने वाली फैक्ट्री मालिकों को स्टेट लाइसेंस का प्रावधान है। इससे ज्यादा के उत्पादन में मालिकों को सेंट्रल लाइसेंस के लिए अप्लाई करना होगा।
- खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्रशासन विभाग समय-समय पर पानी की जांच करेगा।
- खाद्य बर्फ के पानी तय मानक में सही न पाए जाने या अखाद्य बर्फ को नीला नहीं पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 व नियम 2011 के अंतर्गत कार्यवाही होगी। जिसमें दो लाख रुपए जुर्माना व छह माह की सजा का प्रावधान है।
सोशल मीडिया पर बर्फ की सिल्ली का यह फोटो वायरल हो रहा है। इसमें बर्फ में चूहा नजर आ रहा है।
यह फोटो कहां और कब की है यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह स्थिति चिंताजनक है…..