सूरज को जल चढ़ाने के हैं अनेक फायदे, जानें अर्ध्य का सही तरीका

हिंदू धर्म में रोज सुबह उठकर सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा रही है. नियमित सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है.

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सूर्योदय के साथ अंधकार मिट जाता है. सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है. वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता धर्ता माना जाता था.

हिंदू धर्म में रोज सुबह उठकर सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा रही है. वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है. नियमित सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है. ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है. नियमित सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है. सूर्य को जल देने से आरोग्य लाभ मिलता है. हम आपको बता रहे हैं सूर्य को अर्ध्य देने की आसान विधि.

सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें. सूर्य को स्नान के बाद तांबे के बर्तन से जल अर्पित करें. सूर्य के उदय होने के एक घंटे के अंदर अर्घ्य देना चाहिए. सूर्य को जल देने से पहले जल में चुटकी भर रोली या लाल चंदन मिलाएं और लाल पुष्प के साथ जल दें.

सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. अगर कभी ऐसा हो कि सूर्य नजर ना आएं तब भी उसी दिशा की और मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें.

सूर्य को जल देते समय लाल वस्त्र पहनना शुभ माना गया है. अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए. ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें  शरीर पर पड़ती हैं.

यह याद रहे कि बिना स्नान किए हुए अर्ध्य नहीं देना चाहिए. जो लोग भी सूर्य को अर्ध्य देते हैं उन्हें अपने पिता और परिवार का विशेष सम्मान करना चाहिए.

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