अमरनाथ यात्रा आज से शुरू

आज यानी 29 जून 2024 से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। सनातन धर्म में अमरनाथ यात्रा का बेहद खास महत्व बताया गया है। यह तीर्थ स्थान सबसे पवित्र माना जाता है। इस यात्रा में शिव भक्त अधिक संख्या में शामिल होते हैं। खराब मौसम होने के बाद भी श्रद्धालुओं में खास उत्साह देखने को मिलता है।हर साल अमरनाथ की यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह से होती है, जिसका समापन रक्षाबंधन पर होती है। ऐसे में इस साल अमरनाथ यात्रा का आरंभ आज यानी 29 जून से हो गया है और 19 अगस्त को समाप्त होगी।

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धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में बने शिवलिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस यात्रा को करने से 23 तीर्थों का पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों में जिक्र किया गया है कि काशी में लिंग दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से हजार गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन करने से मिलता है। यह भी मान्यता है कि यात्रा को करने से जातक को सभी रोगों और पापों से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसलिए कठिन रास्तों के बाद शिव भक्त अमरनाथ यात्रा में शामिल होते हैं। यात्रा करने से श्रद्धालुओं को महादेव की कृपा प्राप्त होती है।

अमरनाथ यात्रा के नियम

अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी शिव भक्त को गलत न बोलें।

किसी के भी प्रति मन में गलत विचार धारण न करें।

भगवान शिव के नाम का जप करना चाहिए।

शराब और धूम्रपान का सेवन न करें। साथ ही तामसिक भोजन के सेवन से दूर रहें।

खानपान का विशेष ध्यान रखें।

यात्रा के दौरान कचरा न फैलाकर पर्यावरण को प्रदूषित न करें।

सभी जरूरी डॉक्यूमेंट अपने पास जरूर रखें।

समुद्र तल से 3978 मीटर की ऊंचाई पर अमरनाथ गुफा में शिव जी की शिवलिंग स्थित है। पवित्र गुफा 90 फीट लंबी और 150 फीट ऊंची है। ऐसी मान्यता है कि गुफा में जल की बूंद टपकती है, जिसकी वजह से शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने बढ़ने के साथ बर्फ से बने शिवलिंग के आकार में परिवर्तन होता है और अमावस्या तक शिवलिंग धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दश, ऋषि कश्यप और उनके पुत्र का वास कश्मीर घाटी में था। मान्यता है कि एक बार कश्मीर घाटी पूरी तरह से जलमग्न हो गई। इससे झील का रूप ले लिया। इसके पश्चात इसके पानी को ऋषि कश्यप ने कई नदियों में द्वारा बहा दिया। उस दौरान भृगु ऋषि हिमालय पर्वत की यात्रा के लिए वहां से निकले, तो घाटी में जल स्तर कम हुआ और उन्होंने सबसे पहले अमरनाथ यात्रा की पवित्र गुफा में विराजमान बर्फ के शिवलिंग को देखा। तभी से यह पवित्र जगह शिव जी की पूजा और यात्रा का देवस्थान बन गया। मान्यता है कि यहां पर देवों के देव महादेव ने तपस्या की थी।

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