इस तरह करें शनिदेव की पूजा, जानें पूजा के नियम

By AV NEWS

ज्योतिष में जितना महत्व शनिदेव का है उतना ही महत्व उनकी पूजा-आराधना करने में है। शनिदेव भगवान सूर्य और माता छाया की संतान हैं। ज्योतिष में शनिदेव के बारे में मान्यता है कि ये व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। शनि को भगवान शिव ने न्याय का देवता होने का आशीर्वाद दिया है। ज्योतिष की गणना में शनि का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष में शनि को पापी ग्रह माना गया है। सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं।

यह एक राशि से दूसरी राशि में अपना स्थान बदलने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लेते हैं। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा बहुत ही कष्टकारी मानी गई है। मान्यता है कि शनि की अशुभ छाया अगर किसी भी व्यक्ति पर जाय तो परेशानियों से जूझने लगता है। शनि के प्रभाव को कम करने के लिए और अशुभ छाया से बचने के लिए शनि पूजा को महत्व दिया जाता है। आज हम आपको शनि की पूजा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

शनिदेव की पूजा के नियम और सावधानियां

लाल रंग

शनिदेव की पूजा कभी भी लाल सामग्री से नहीं करनी चाहिए क्योंकि शनिदेव को लाल रंग प्रिय नहीं होता है। ज्योतिष में लाल रंग मंगल और सूर्य का कारक है और शनि सूर्य और मंगल को अपना शत्रु मानते हैं। इसलिए शनिदेव की पूजा में भूलकर भी लाल रंग की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। शनि पूजा में नीले और काले रंग की चीजों का प्रयोग करना अति शुभ माना गया है। क्योंकि ये दोनों रंग शनिदेव को बहुत ही प्रिय होते हैं।

भूलकर भी सफेद तिल का प्रयोग न करें

भगवान शनि को काला और नीला रंग बहुत ही प्रिय होता है इसलिए शनि को प्रसन्न करने के लिए काले तिल और उडद दाल की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। शनिवार के दिन काला तिल शनिदेव को अर्पित करने से प्रसन्न होते हैं जिससे कुंडली में शनि का प्रकोप कम होता है। कभी भी शनिदेव को सफेल तिल नहीं चढ़ाना चाहिए नहीं चढ़ाना चाहिए। सफेद तिल का दान करने और चढ़ाने से शनिदेव की अशुभ छाया का प्रभाव बढ़ जाता है।

शनि देव की आंखों में न देखें

मान्यता है कि शनिदेव की द्दष्टि अगर किसी पर पड़ जाय तो उसका सारा काम बिगड़ने लगता है। ऐसे में शनिदेव की पूजा के दौरान कभी भी उनकी आंखों में नहीं देखना चाहिए बल्कि पूजा के दौरान नजरें उनके चरणों  की तरफ होनी चाहिए।

पश्चिम दिशा

पश्चिम दिशा शनि की दिशा मानी गई है ऐसे में इनकी पूजा के दौरान आपका मुंह पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।

तेल का दीपक

भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए तेल का दीपक जलाया जाता है, लेकि सरसो के तेल का दिया जलाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि शनि की प्रतिमा के सामने न जलाएं बल्कि मंदिर में मौजूद शनि देवता की शिला के सामने जलाएं।

इस पहर के बाद करें शनि पूजा

भगवान शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं, इसलिए शनि की पूजा सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद ही करना चाहिए।

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