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उज्जैन:ऑटो वालों की ‘मनमानी’ का ‘गियर’ कंट्रोल से बाहर…

उज्जैन। शहर में जिस तेजी से ऑटो और ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है, वह आने वाले समय में परेशानी का सबब बनेगी। अभी भी सड़क पर जो ऑटो व ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, उनके लिए न तो कोई नियम है और न कानून। ऑटो व ई रिक्शा वाले बीच सड़क पर वाहन रोक देते हैं और सवारी बैठाते हैं।

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इसी के चलते आए दिन हादसे होते रहते हैं। अब ऑटो वालों की मनमानी और गुण्डागर्दी का सामना भी करना पड़ रहा है। इनकी हरकतों के कारण भगवान महाकाल और मंदिरों की छबि प्रभावित हो रही है।

आम लोगों की इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी सामने रहीं है। सोशल मीडिया पर कड़े शब्दों में ऑटो वालों के साथ व्यवस्थाओं को आड़े हाथों लिया जा रहा है।

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अवैध ऑटो संचालन के मामले में हाईकोर्ट की लगातार फटकार के बाद सरकार ने वादा किया कि अब यदि बिना परमिट या अवैध रूप से चलने वाले ऑटो को पकड़ा जाएगा, तो उन्हें किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा। कुछ समय के लिए अभियान चला,फिर टाय..टाय फिस…।

यह कहना है लोगों का…

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प्रशासन व स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है। आज भी सिटी बस की सुविधा नही दे पाये।– एम एल चौहान

उज्जैन में…प्रति किलोमीटर के हिसाब से जितना पैसा यहां के ऑटो वाले मांगते है, उतना किसी शहर में नही…। भैया लोकल को तो चेहरा देख के नही बैठाते।– हितेश गुप्ता

स्टेशन पर उतरते ही ऑटो वालों की मनमानी फिर होटल वालों की मनमानी। इन लोगों की वजह से उज्जैन का नाम बहुत ज्यादा खराब हो रहा है।– हरीश देवनानी।

ऑटो,ई-रिक्शा,मैजिक सबके शासकीय रेट तय रहते हैं। मीटर के अभाव व पुलिस की उदासीनता के कारण मनमाना किराया ऑटो वाले वसूल रहे हैं। मूल मे कारण पुलिसिया भ्रष्टाचार है। गुंडागर्दी अलग है।-एनपी शर्मा।

इनके पप्पा ने पूरा शहर खरीद रखा है…मनमाना किराया, गुंडागर्दी और बड़ी बात चलाने का तरीका, मरने वाला मरे तो मरे। मीटर अनिवार्य कर दिया जाए।– संपत मौर्य

मौका देखकर चौका लगाने वाले भी यहां मिल जाएंग। यात्रियों को हर कोई मौका मिलते ही लुट रहे हैं। चाहे वह होटल वाले हो, रेस्टोरेंट वाले, प्रसाद वाले या फिर मैजिक वाले या फिर पुलिस वाले। बाहर से आ रहे दर्शनार्थियो को इनसे बचाने वाला कोई नहीं-प्रकाश रावत

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