उज्जैन:देश की सबसे विश्वसनीय बैंक SBI की सेठी नगर शाखा का कारनामा

सेल्फ का चेक बिना बैलेंस जांचे ही काउंटर से कर रहे बाउंस, खाताधारकों को लग रही चपत
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
उज्जैन।सबसे ज्यादा खाताधारक, शाखाएं और एटीएम के साथ स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) देश की सबसे बड़ी और विश्वसनीय बैंक है। सबसे ज्यादा पेंशन खाते, जीरो बैलेंस खाते भी एसबीआई में ऑपरेट होते हैं। यहाँ तक की केंद्र सरकार की हर छोटी बड़ी योजनाओ का लाभ एक छोटे से छोटे व्यक्ति तक पहुंचाने में एसबीआई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ऐसी बैंक की छवि को खऱाब करने में उज्जैन शहर की सेठी नगर ब्रांच लगी हुई है। जहाँ ब्रांच मैनेजर और क्लेरिकल स्टाफ के ऐसे रवैय्ये से ग्राहकों को अनावश्यक चपत लग रही है वहीँ इससे बैंक की छवि भी खऱाब हो रही है। अनेक शिकायतें होने के बाद भी उज्जैन रीजनल ऑफिस द्वारा इस ब्रांच पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही बल्कि एसबीआई के उज्जैन रीजन के सीआरएम का ही पूरा प्रश्रय इस ब्रांच और यहाँ के स्टाफ को प्राप्त है।
सेल्फ का चेक बाउंस और खाते से उड़े 590 रुपए
अक्षरविश्व को जानकारी देते हुए सेठीनगर ब्रांच के एक खाताधारक ने बताया की नगदी निकालने के लिए जब काउंटर पर बचत खाते से सेल्फ का चेक दिया गया तो काउंटर से चेक यह कहते हुए लौटा दिया गया की इसमे बैलेंस नहीं है इसलिए भुगतान नहीं हो सकेगा। खाताधारक जब घर पहुंचा और अपना स्टेटमेंट चेक किया तो खाते में चेक क्लियर करने जितनी पर्याप्त राशि तो नहीं थी लेकिन साथ में 590 रु के चेक बाउंस के पैसे काट लिए गए। जब ग्राहक ने इस विषय में ब्रांच मैनेजर मिलिंद पाद्ये से चर्चा की तो उनका कहना था की यह सिस्टम जनरेटेड है इसलिए पैसा कटेगा और इस पैसे को रिवर्स करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है और चेक लगाने के पूर्व आपको स्वयं अपने खाते का बैलेंस पूछना चाहिए था।
इस विषय पर यह है एसबीआई के ही वर्तमान और पूर्व प्रबंधकों की राय…
इस विषय में अक्षरविश्व ने जब एसबीआई के एक अन्य रीजन के वर्तमान आरएम से चर्चा की तो उन्होंने बताया की वैसे तो यह काउंटर पर बैठे क्लेरिकल स्टाफ की ड्यूटी है की सेल्फ के चेक से नगद भुगतान लेने आए खाताधारक के खाते में पहले बैलेंस चेक करे और यदि पर्याप्त बैलेंस ना हो तो काउंटर से ही चेक रिटर्न कर दे जिससे की खाताधारक को अनावश्यक पेनल्टी ना लगे। इसी बात पर एसबीआई से दो वर्ष पूर्व रिटायर हुए एक आरएम और एक एजीएम रैंक के अधिकारीयों ने भी माना की बिना बैलेंस चेक किये चेक क्लीयरिंग में देना क्लेरिकल स्टाफ और ब्रांच मैनेजर की उदासीनता और खाताधारक के प्रति उनकी संवेदनहीनता दर्शाता है। यदि क्लेरिकल स्टाफ और ब्रांच मैनेजर चाहते तो खाताधारक का यह नुक्सान होने से बच सकता था। उन्होंने तो यहाँ तक कहा की इन चार्जेस/पेनल्टी को रिवर्स करने का अधिकार ब्रांच मैनेजर के पास होता है। वह चाहे तो अपने स्तर से इसको रिवर्स कर सकता है और करना भी चाहिए।
सीआरएम बोले: ग्राहक इंटरनेट बैंकिंग से बैलेंस चेक करें फिर लगाएं चेक…
अक्षरविश्व ने एसबीआई के उज्जैन रीजन सीआरएम रमेश कहोल से चर्चा की तो उन्होंने उल्टा हमारे और खाताधारक के लिए ही नसीहत दे डाली। वह बोले आप लोग पहले इंटरनेट बैंकिंग से अपना बैलेंस चेक करें उसके बाद ही नगद भुगतान निकालने के लिए सेल्फ का चेक लगाएं। चेक से नगद भुगतान करने के लिए प्रोसेस करने के पूर्व बैलेंस चेक करना हमारा काम नहीं है। यह सिस्टम जनरेटेड है जिससे पैसा अपने आप कट जाता है। हर खाताधारक को स्वयं अपने खाते का बैलेंस इंटरेनेट बैंकिंग से चेक करके ही आना चाहिए है। इस सवाल पर की चेक से भुगतान प्रोसेस करने पर सबसे पहले बैंक कर्मी को खाताधारक का बैलेंस ही स्क्रीन पर दिखता है तो काउंटर से ही उसका चेक लौटाया क्यूँ नहीं गया उसको बाउंस कराने की ज़रूरत क्या थी उससे सिर्फ इतना कहा जा सकता था की आपके खाते में बैलेंस नहीं है, इस सवाल पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।