उज्जैन:नीमच से इंदौर जा रही बस से यात्री ने अक्षरविश्व से किया संपर्क, भेजे लाइव फोटो

सीटें फुल, 20 लोग खड़े होकर कर रहे यात्रा…क्या इससे नहीं फैलेगा संक्रमण ? यदि हाँ..तो इसका जिम्मेदार कौन ?

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जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदाराना जवाब

आरटीओ संतोष मालवीय बोले: जब तक शिकायत नहीं तब कार्रवाई नहीं, आप बस का नंबर भेज दो में कार्यवाही कर दूंगा…

पब्लिक व्यू: जब हमें ही नंबर भेज कर कार्यवाही करवाना है तो फिर आपकी और स्टाफ की जरूरत ही क्या?

उज्जैन। अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही अब बड़ी संख्या में लोग एक शहर से दूसरे शहर आवागमन कर रहे हैं। कम संख्या में ट्रेनें चलने के कारण मजबूरी में लोग बसों में यात्रा कर रहे हैं जिसका फायदा ट्रेवल्स कंपनी के संचालक उठाते हुए यात्रियों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं। खास बात यह कि ओवरलोड और कोरोना नियमों का उल्लंघन कर संचालित हो रही बसों पर कार्रवाई के लिये न तो पुलिसकर्मी और न ही आरटीओ द्वारा कोई कदम उठाये जा रहे हैं।

नीमच से उज्जैन होकर इंदौर की ओर जाने वाली निजी बस नीमच से ओवरलोड होकर चली। बस के अंदर स्थिति यह थी कि यात्रियों को सीटें भर जाने के बाद स्टूलों पर बैठाया गया। ओवरलोड बस को ड्रायवर द्वारा लापरवाही से तेज रफ्तार चलाया जा रहा था। बस में बैठे यात्रियों ने बताया कि उन्हेल पार करते समय ड्रायवर ने एक बाइक चालक को कट मार दिया जहां बस का संतुलन बिगड़ा लेकिन बड़ी दुर्घटना नहीं हो पाई। यह बस आज सुबह शांतिपैलेस चौराहे पर पहुंची। यहां पुलिस के तीन जवान मौजूद थे। उन्होंने भी ओवरलोड बस को देखा लेकिन न तो ड्रायवर से कोई पूछताछ की और न ही कोई कार्रवाई की। बस में बैठे मंगेश जायसवाल ने उज्जैन स्टेण्ड पर उतरने के बाद बताया कि बस संचालकों को आरटीओ या पुलिस का भी खौफ नहीं है क्योंकि नीमच से उज्जैन तक रास्ते में 5 स्थानों पर पुलिस के चैकिंग पाइंट मिले लेकिन कहीं भी पुलिस ने बस को रोककर जांच पड़ताल तक नहीं की।

कोरोना गाइड लाइन का भी उल्लंघन
प्रशासन द्वारा बस संचालकों को कोरोना नियमों के अंतर्गत सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजर के नियमों का पालन करते हुए बस संचालन की अनुमति जारी की गई है लेकिन लंबी दूरी की बसों का संचालन करने वाले ट्रेवल्स के मालिकों द्वारा लापरवाही बरतते हुए क्षमता से अधिक यात्रियों को बसों में बैठाकर कोरोना नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

आरटीओ और उनकी टीम द्वारा सड़कों पर संचालित होने वाले लोक परिवहन के संसाधन बस, ट्रक, टैक्सी वाहनों की जांच नहीं की जा रही जिसका परिणाम है कि यात्रियों को जान जोखिम में डालकर यात्रा करना पड़ रही है। आरटीओ संतोष मालवीय से इस संबंध में चर्चा की गई तो उनका कहना था कि आप बस का नंबर भेज दो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी, जबकि नियमानुसार आरटीओ और उनकी टीम को अपने कर्तव्य के अनुसार सड़कों पर ऐसी बसों की जांच और कार्रवाई स्वयं करना चाहिये।

व्यापारियों पर कार्यवाही तो बस संचालक या आरटीओ पर क्यों नहीं…? जब स्थानीय प्रशासन व्यापारियों पर कार्यवाही कर रहा है, उनकी दुकाने सील हो रही है, चालान बन रहे हैं ऐसे में बस संचालक और आरटीओ पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही।

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