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उज्जैन : अपने राजनीति कॅरियर का ‘कबाड़ा’ कर चुके अब वार्ड की बारी…

उज्जैन। राजनीति में कसमें-वादों का महत्वपूर्ण स्थान है। यह पूरे होंगे या नहीं…टूटेगे नहीं… इस बात की कोई गारंटी नहीं है।

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इस बार के चुनाव में दल से टिकट नहीं मिला तो बागी होकर अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दिया है। इन नेता की कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा होने लगी है कि नेताजी ने अपने स्वार्थ के लिए कई बार पार्टी से गद्दारी की।

राजनीति महत्वकांक्षा के लिए झूठी कसम खा चुके है। अपनी कार्यशैली के कारण स्वयं की राजनीति और अपने दल का ‘कबाड़ा’ कर रहे है। बताया जा रहा है कि गत निगम चुनाव में वोट की खातिर कसम खाते हुए मतदाताओं से कहा था कि मेरा आखरी चुनाव इस बार वोट देकर नगर निगम पहुंचा दो…

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आगे कभी मुझे अवसर ‘मत’ देना… फिर चुनाव आया तो भाई साहब का वार्ड महिला के लिए आरक्षित हो गया तो उन्होंने पत्नी को आगे कर दिया। टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय मैदान थाम लिया।

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वोट मांगने निकले तो मतदाताओं ने चुनाव नहीं लडऩे का वादा-कसम याद दिलाते हुए कहा क्यो भाईजान फिर से चुनाव….मुंह में पान दबाएं भाईजान भी कहां कम थे… बोले मैं नहीं लड़ रहा आपकी भाभी मैदान में हैं।

वार्ड के मतदाता इस बात के लिए भी खिन्न है कि अपने वर्ग के लिए कभी-भी अन्य किसी समाज/वर्ग से आर्थिक व अन्य सहयोग नहीं लेने वाले समाज के धर्मस्थल पर पार्षद निधि से लाखों का काम कराने की दुहाई देकर वोट मांगे जाने से वर्ग का एक बड़ा तबका नाराज है और बोल रहा है कि जिसने राजनीति का ‘कबाड़ा’ कर दिया वह नेतागिरी के चक्कर में वार्ड का ‘कबाड़ा’ ना कर दे। 

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