उज्जैन : ईद के रूप में कल मिलेगा रमजान का इनाम

कोरोना बचाव के लिए सलाह : ईद पर न गले मिले और न ही हाथ मिलाएं: शहरकाजी

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दूसरी बार रमजान पर ईदगाह पर नहीं होगी नमाज, शहर में 140 मस्जिद और एक ईदगाह

उज्जैन। मुस्लिम समाज कल ईद का त्यौहार मनाएगा। यह दूसरी बार है जब ईदगाह पर नमाज अता नहीं होगी। वहीं करीब दो साल बाद फिर से 30 वां रोजा होगा। इसे मुस्लिम समाज अपनी खुशकिस्मती मान रहा है। उनके जीवन में एक रोजा और बढ़ गया। यानी उन्हें एक दिन का शबाब और मिलेगा। शहर काजीखुलीकुरर्हमान ने कहा, ईद इनाम है रमजान का। इस बार कोरोना संकट की वजह से समाजजनों को घरों में ईद का त्योहार मनाने की अपील की गई है। उनका कहना है कि समाजजनों को कहा गया है कि वे न तो गले मिले और न ही हाथ (मुसाबा) मिलाए। शहर में करीब 140 मस्जिदें और एक ईदगाह इंदिरा नगर में है।

जकात देते हैं मालदार

इस्लाम में मालदार यानी संपन्न लोगों को अपने समाज के कमजोर लोगों की मदद के लिए साल में एक बार जकात देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत तय पैमाने के मुताबिक ढाई प्रतिशत जकात देनी होती है। जकात संपन्न होते ही देना होती है। परन्तु ज्यादातर समाजजन रमजान में देते हैं ताकि त्योहार सभी लोग मना सकें।

सदका

यह प्रत्येक मुस्लिम को देना होता है। इसमें सवा दो किलो गेहूं या उसके बराबर पैसा दान करना होता है। ताकि समाज के कमजोर लोगों की मदद हो सके।

इस परंपरा का उद्देश्य

जकात और सदका की व्यवस्था समाज के सभी लोगों की मदद करने के लिहाज से शुरू की गई है। ज्यादातर मुस्लमान 10 रोजे के बाद ही इन दोनों परंपराओं के तहत लोगों की मदद करते हैं।

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