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उज्जैन: क्या माधवनगर अस्पताल में नहीं चल रहा सब ठीक?

पेरा मेडिकल से लेकर डॉक्टर अंदरूनी राजनीति के शिकार, नोडल अधिकारी को शिकायत की

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आज सीएमएचओ को भी करेंगे शिकायत

उज्जैन। डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल याने शा. माधवनगर में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां अंदरूनी राजनीति किस कदर हावी है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां डॉक्टर्स एवं पेरा मेडिकल स्टॉफ के बड़े समुह ने नोडल अधिकारी को शिकायती पत्र दे दिया है। आज ये लोग सीएमएचओ को पत्र देंगे।

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यह लिखा है शिकायती पत्र में: डॉ.संजीव कुमरावत को छोड़कर बाकी डॉक्टर्स और पेरा मेडिकल स्टाफ ने शिकायती पत्र में लिखा है कि प्रतिदिन डॉक्टर्स एवं स्टाफ नर्स के साथ नर्सिंग सिस्टर प्रभारी के द्वारा अभद्रता की जा रही है। दैनंदिनी कार्यो में हस्तक्षेप किया जा रहा है। रोजाना ड्यूटी में इसप्रकार से परिवर्तन किया जा रहा है कि डॉक्टर्स एवं स्टाफ की क्रियाशिलता पर प्रभाव पड़ रहा है। इसका असर मरीजों के उपचार पर गिर रहा है। कोई अच्छी बात या सुझाव देने पर डॉक्टर्स एवं स्टाफ को नौकरी से निकालने की धमकी कतिपयों द्वारा दी जाती है। अब उपचार को लेकर मरीज भी शिकायत करने लगे हैं। हम अब सम्मान को ठेंस पहुंचने के कारण मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।

नोडल अधिकारी अब अंकित अस्थाना
माधवनगर अस्पताल के नोडल अधिकारी अभी तक क्षितिज सिंघल थे। अब यह प्रभार जिला पंचायत के सीईओ अंकित अस्थाना को सौप दिया गया है। कल उन्ही को उक्त शिकायती पत्र मय हस्ताक्षर के सौपा गया और कार्रवाई की मांग की गई।

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कलेक्टर को भेज चुके प्रतिलिपि
शिकायतकर्ताओं का कहना था की उक्त पत्र की एक प्रतिलिपि कलेक्टर को भेजी जा चुकी है। उनके अनुसार आज दोपहर बाद एक शिकायती ज्ञापन सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल को दिया जाएगा।

इस प्रकार की जा रही शिकायत

सर्वर बंद होने पर हाथ से टिकट बनाकर दिया पलंग तो दिलवा दिया नोटिस

उज्जैन। माधवनगर अस्पताल में जो व्यक्ति कुर्सी वालों के निर्देश पर अपने सुझाव या समस्या बता रहा है, उन्हे येनकेन घेरने का काम भी जारी है। एक डॉक्टर जो कि पिछले डेढ़ वर्ष से सेवा दे रहा है, उसे बगैर कारण के कलेक्टर से नोटिस दिलवाकर कहा गया कि क्यों न आपके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए? उसने जो कारण बताए, उसका जवाब हॉस्पिटल के जिम्मेदार कुर्सीवालों के पास नहीं है।

यह मिला डॉक्टर को नोटिस: यहां कार्यरत डॉक्टर को कलेक्टर के मार्फत नोटिस दिया गया। इसमें कहा गया कि न्यू आयसीयू में उन्होने एक सामान्य मरीज को बिना प्रभारी अधिकारी एवं सक्षम अनुमति के क्यों भर्ती किया गया? इस कारण से गंभीर मरीज को पलंग नहीं मिल पाया? यह महामारी अधिनियम-1987 की धाराओं का उल्लंघन है। आपके विरूद्ध सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।

यह जवाब दिया डॉक्टर ने
डॉक्टर ने जवाब में लिखा कि एक मरीज को डॉ.संजीव कुमरावत के निर्देश पर पीटीएस भेजा गया था। वहां 45 मिनिट इंतजार करने के बाद यह कहकर कि पीटीएस में स्ट्रेचर एवं व्हील चेयर नहीं है, मरीज को वापस माधवनगर हॉस्पिटल भेज दिया गया। वापसी में मरीज इतना घबराया हुआ था कि उसकी ऑक्सीजन का प्रतिशत 50 रह गया था। अत: मरीज को आयसीयू में लिया गया। डॉक्टर होने के नाते जान बचाना मैरा कर्तव्य था। यह व्यक्ति ज्ञान प्रकाश नहीं था। ज्ञान प्रकाश की जानकारी माननीय कलेक्टर महोदय को दी गई है,वह पूर्णत: असत्य है। मैरे विरूद्ध द्वेषपूर्ण जानकारी माननीय महोदय को दी गई है। मैं अपना त्याग पत्र देने को तैयार हूं।

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