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एक रस्सा…19 पुलिसकर्मी..हजारों की संख्या में भक्त…

ऐसा दबाव की… बच्चों वृद्धों और महिलाओं को किया गया रेस्क्यू…

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अराजक सिस्टम,कई बार बिगड़े हालात….महाकालेश्वर ने बचाया

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:नागपंचमी- श्रावण सोमवार पर श्रद्धालुओं के प्रबंधन के सारे दावे फेल हो गए। क्राउड मैनेजमेंट के लिए मुख्य प्रवेश मार्ग पर रस्से के माध्यम से अस्थायी ब्लाक बनाकर आम लोगों को रोक-रोक कर आगे बढ़ाया जा रहा था। यह प्लान श्रद्धालुओं का दबाव नहीं झेल पाया, दिनभर में कई मर्तबा हालात बिड़ते रहे। भगवान महाकालेश्वर की कृपा की कहें कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।

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आम श्रद्धालुओं मुख्य प्रवेश मार्ग भील समाज की धर्मशाला, नृसिंह घाट पर एक रस्से के सहारे 19 पुलिसकर्मी हजारों श्रद्धालुओं को नियंत्रित कर रहे थे। कई बार ऐसे हालात बनें कि भीड़ के दबाव ने रस्सा लेकर खड़े पुलिसबल को भी धकेल दिया।

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आगे की तरफ से रोकने और पीछे से अन्य लोगों के दबाव के कारण बच्चों, वृद्ध और महिलाओं की स्थिति सबसे खराब रही। भीड़ में दबने की नौबत आने पर कई बच्चों, वृद्ध और महिलाओं को आसपास तैनात पुलिसकर्मियों ने रेस्क्यू किया।

ऐसे हालात दिनभर में कई बार सामने आए, लेकिन भगवान महाकालेश्वर की कृपा रही..कोई अमंगल नहीं हुआ। नागचंद्रेश्वर और महाकाल दर्शन के लिए सोमवार को पहुंचे हजारों श्रद्धालु घंटों परेशान हुए। सामान्य कतार के अलावा अन्य गेटों से भी दर्शन की व्यवस्था थी लेकिन कोई ये बताने को तैयार नहीं था कि दर्शन के लिए कहां कैसे जाए व वापस कहां से वापसी है।

प्रशासन और मंदिर प्रबंध समिति के कुप्रबंधन के कारण हजारों हजार भक्त अव्यवस्थाओं का सामना करते हुए भगवान महाकालेश्वर-नागचंद्रेश्वर दर्शन के लिए घंटों लाइन में खड़े रहे।

वहीं पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की सरकारी गाडिय़ों में उनके परिवार, रिश्तेदार माधव सेवा न्यास के रास्ते आते रहे। इस बीच नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर श्रद्धालुओं के लिए जो एग्जिट बनाया हुआ था उसी से उल्टी दिशा में शासकीय अधिकारी व कर्मचारियों के परिवार के लोग घुसते रहे। इन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं था। कई भक्त तो प्रवेश का सही स्थान पता नहीं होने के कारण शिखर दर्शन कर लौट गए।

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