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ओ हेनरी के नाटक डिजायर का हुआ अनोखा मंचन

उज्जैन। कहानियों का मंचन बहुत कठिन माना जाता रहा है किसी विदेशी कहानीकार की कहानी का रूपांतरण करके उसे नाटक बनाना और भी कठिन कार्य है। लेकिन परिष्कृति सामाजिक संस्था उज्जैन के सृजनशील रंगकर्मी हर्षित शर्मा ने मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के सौजन्य और मेहनत व कल्पना से ओ हेनरी की कहानी को नाटक के रूप में बदल कर सफल मंचन किया। नाटक सामान्य रूप से किसी मंच पर किया जाता है लेकिन इस प्रयोग में पारंपरिक मंच से अलग एक छोटी स्पेस ढूंढकर उसी में दर्शकों के बीच ही नाटक का मंचन किया गया। दर्शक सारे कलाकारों को अपने आसपास ही पाकर नाटक के माहौल में ही जुड़ गये थे, यह उनके लिये एक अलग अनुभव रहा।

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नाटक के बारे में बताते हुए संस्था के अध्यक्ष सतीश दवे ने बताया कि विलियम सिडनी पोर्टर जिन्हें हम ओ हेनरी के नाम से पहचानते हैं, उनकी यह विशेषता ही रही है कि उसकी कहानियों का अंत बहुत अलग तरह का होता है। पूरे नाटक में कलाकारों ने अपने आपको उन पात्रों के अनुरूप साबित कर दिया। राजू खान (सोपी) ने जटिल व्यक्तित्व के मनोभावों को अच्छे से बताया। शुभम सत्यप्रेमी (मिस्टर डी), हिमांशी तिवारी (लारा), अंशुल पटेल (पीटर, चार्ल्स), चितेंद्र सिसोदिया (ऐलन), तेजस्विनी (जेनी), सचिन (बास), राजवीर (बाब) ने अपने-अपने पात्रों को बखूबी निभाया। मोमबत्ती से चर्च का दृश्य बनाना एक कल्पनाशील प्रयोग था, वैसे ही एक छोटी सी जगह को रेस्टोरेंट में बदलना नया प्रयोग था। आलोकन ने नाटक को और अधिक प्रभावशाली बना दिया था।

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