ललित ज्वेल. उज्जैन:जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है,विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को कार्यकर्ताओं का टोटा महसूस होता जा रहा है। हालात यह है कि कुछ विधानसभा सीटों पर पिछले 20 सालों से काम कर रहे कार्यकर्ता ही एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीताने में जुटे हुए हैं।
नए कार्यकर्ताओं की कमी सभी को अखर रही है। उस पर सूत्रों का दवा है की उज्जैन उत्तर से उज्जैन दक्षिण में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पलायन के बाद उत्तर में कार्यकर्ताओं की कमी महसूस की जा रही है। मौखिक चर्चा में इस बात की पुष्टी स्वयं कांग्रेसजन कर रहे हैं।
कांग्रेस ने इस बार उज्जैन उत्तर से माया त्रिवेदी एवं दक्षिण से चेतन यादव को मैदान में उतारा है। दोनों चेहरे शहरवासियों के लिए जाने-पहचाने हैं। लेकिन अंतर कार्यकर्ताओं की फौज को लेकर देखा जा रहा है। परदे के पिछे की कहानियों का दौर भी जारी है। ये इंगित करती है कि दोनों सीटों पर प्रत्याशियों द्वारा तो मेहनत की जा रही है लेकिन शहर-जिला कांग्रेस कहीं न कहीं फेल्यूअर साबित हो रही है।
समन्वय नहीं बनने के कारण उत्तर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता दक्षिण में काम कर रहे हैं। इसके उलट दक्षिण से कार्यकर्ताओं का पलायन उत्तर में नहीं हो पा रहा है। इसे मैदानी स्थिति में भी देखा जा सकता है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ये अपना-अपना सोच है। कोई किसी प्रत्याशी को अपना मानता है और उसके क्षेत्र में काम करने जाता है तो उसे रोका नहीं जा सकता है। हां, मतदान तो वह उसी जगह करेगा,जहां रहता है?
सूत्रों का दावा है कि उज्जैन उत्तर में नगर निगम चुनाव के समय कांग्रेस के जितने प्रत्याशी पार्षद का चुनाव लड़े और हार गए। वे सभी इस समय किसी न किसी रूप में दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में चेतन यादव के लिए काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे शहर जिला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ.बटुकशंकर जोशी के समर्थक हैं।
इस बार बटुकजी ने चेतन यादव की पीठ पर हाथ रखा है, इसलिए वे भी इसी सीट पर काम करने आ गए हैं। वोट तो कांग्रेस को ही देंगे और अपनी ही विस सीट की प्रत्याशी माया त्रिवेदी को। लेकिन इस समय यदि वे दक्षिण में काम कर रहे हैं तो किसी को बुरा नहीं मानना चाहिए । वे भी अपने समर्थकों को दक्षिण से उत्तर में ले जा सकते हैं। कोई भी कहीं भी काम करे,पार्टी के मोर्चे पर लगा है याने कर्तव्य का पालन कर रहा है।
उज्जैन जिले की अन्य विधानसभा सीटों के हालात भी ऐसे ही दिखाई दे रहे हैं। इस समय कांग्रेस के जमीनी एवं स्थानीय कार्यकर्ताओं की भीड़ केवल उज्जैन दक्षिण, नागदा-खाचरौद एवं तराना विधानसभा सीट पर देखी जा सकती है। रही बात घट्टिया की तो वहां कांग्रेस विधायक एवं वर्तमान में प्रत्याशी रामलाल मालवीय के साथ वही पुरानी टीम काम कर रही है। जिसमें उम्रदराज लोगों की संख्या अधिक है।
महिदपुर में कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश जैन बोस के साथ भी कार्यकर्ताओं की पूरी फौज है लेकिन परंपरागत। इधर बडनग़र विधानसभा सीट पर अभी भी कार्यकर्ता कश्मकश में है कि वे किसके साथ जाएं? मुरली मोरवाल के साथ या सोलंकी के साथ, जिनका टिकट कांग्रेस वापस लेकर मुरली मोरवाल पर दोबारा भरोसा जता चुकी है। सूत्रों का कहना है कि यह बातें भोपाल एवं दिल्ली तक पहुंची है। आगामी एक सप्ताह के भीतर यह मामला सुलझ जाएगा।