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गंदगी और आवारा मवेशियों के बीच रामघाट पर दीपदान

ट्रैफिक जवान नदारद, घंटों जाम में फंसकर नदी तक पहुंच पाए लोग

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन कार्तिक पूर्णिमा के पर्व स्नान और शाम को होने वाले दीपदान को लेकर नगर निगम और पुलिस द्वारा पूर्व से कोई तैयारियां नहीं की गईं जिसका परिणाम यह रहा कि महिलाओं और वृद्धजनों को गंदगी व आवारा मवेशियों के बीच दीपदान करने शिप्रा नदी के घाटों तक पहुंचना पड़ा।

शिप्रा नदी के रामघाट, दत्त अखाड़ा और सुनहरी घाट पर हजारों की संख्या में महिलाओं ने रात को पहुंचकर दीपदान किया। इस दौरान घाटों और वहां तक पहुंचने वाले मार्ग पर जगह-जगह गंदगी के ढेर थे। पर्व स्नान करने वाले लोगों ने कपड़े, पूजन सामग्री घाटों पर छोड़ी जिनका ढेर लगा था। भीड़ के बीच ही आवारा मवेशी भी घूम रहे थे जिनसे महिलाओं और वृद्धों को खतरा बना रहा। नगर निगम द्वारा घाटों तक आवारा मवेशियों को रोकने अथवा सफाई के कोई इंतजाम नहीं किये गये थे।

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पुलिसकर्मी दुकानों पर करते रहे टाइमपास

नदी में गहरे पानी की ओर नहीं जाने के लिये होमगार्ड के जवान ड्यूटी करते नजर आये लेकिन जिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी यहां लगी थी वह इधर-उधर दुकानों पर बैठकर समय व्यतीत कर रहे थे। उन्हें घाटों पर बढ़ती भीड़ और वाहनों के आवागमन से कोई सरोकार नहीं था। परिणाम यह रहा कि शिप्रा नदी के छोटे पुल से बिलौटीपुरा चौराहा, ढाबारोड़ की ओर जाने वाले मार्ग पर लंबा जाम लगने के कारण लोगों के वाहन घंटों फंसे रहे। यही स्थिति रामानुजकोट, कहारवाड़ी, हरसिद्धी दरवाजे की भी रही। खास बात यह कि रामानुजकोट के सामने लगे बेरिकेड्स को हटाकर दो पहिया, चार पहिया वाहनों का आवागमन घाटों तक होता रहा जिन्हें यहां मौजूद पुलिसकर्मी रोक भी नहीं पाये।

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