गीता जयंती : सद्कर्म, स्व-धर्म और सच्चे कर्तव्य पथ की प्रेरणा

आज गीता जयंती का अवसर अद्भुत और अलौकिक ऊर्जा से परिपूर्ण है। मध्यप्रदेश में पहली बार ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी को गीता जयंती की मंगलकामनाएं…।

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यह हमारा सौभाग्य है कि 8 से 11 दिसंबर 2024 की अवधि में चलने वाले इस महोत्सव में हमें गीता के ज्ञान और इसके महत्व को जानने तथा व्यवहार में आत्मसात करने का अवसर मिला है। विरासत से विकास की संकल्पना के मूल विचार में सनातन परम्पराएं, मान्यताएं और उसके कल्याणकारी सामाजिक परिणाम रहे हैं। इसी क्रम में गीता जयंती के अवसर पर मध्यप्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

इसका उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के विविध पक्षों और श्रीमद्भागवद गीता के सार्थक संदेशों से नागरिकों को अवगत करवाना है। सौभाग्य की बात है कि मध्यप्रदेश गीता के सस्वर पाठ का विश्व रिकार्ड स्थापित कर रहा है। इसी श्रृंखला में विद्यालयों में गीता पर केन्द्रित क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में लाखों विद्यार्थियों ने सहभागिता की। भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन के रहस्य की जो बात श्रीमद्भगवद गीता में समझाई है वह हम सभी के लिए पाथेय के रूप में है जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रासंगिक है।

भगवान श्रीकृष्ण ने पांच हजार साल पहले महाभारत की युद्ध भूमि कुरूक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच अर्जुन को कर्मयोग की शिक्षा दी जिससे पवित्र गीता का अवतरण हुआ। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा जो बातें कही गईं वह आज भी सम-सामयिक है। भगवान श्रीकृष्ण विद्याध्ययन के लिये मध्यप्रदेश की उज्जैन नगरी आये थे।

हमने प्रदेश के सभी विकासखण्डों में एक गांव को चयनित कर वृंदावन गांव के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इन गांवों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाया जायेगा। वृंदावन गांव में जहां एक ओर प्राचीन संस्कृति को पुष्पित और पल्लवित किया जायेगा, वहीं दूसरी ओर जैविक खेती और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा।
श्रीमद्भगवद गीता में कुल 700 श्लोक हैं। इनमें 574 श्रीकृष्ण उवाच अर्थात् भगवान श्रीकृष्ण ने कुल 574 श्लोकों में जीवन का संदेश दिया है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (2/ 47)

अर्थात् तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, कर्म के फल पर नहीं… इसलिए फल की चिंता किये बिना कर्म को ही कर्तव्य मानकर कार्य करो, उसी पर तुम्हारा अधिकार है।

गीता के अध्याय दो के इस श्लोक में किसी व्यक्ति के जीवन की सफलता का ही नहीं, समाज और राष्ट्र के विकास का भी यही सूत्र है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि श्रीमद्भगवद गीता की प्रेरणा से मध्यप्रदेश ने अपनी विकास यात्रा आरंभ की है। मध्यप्रदेश सरकार का संकल्प है विकास के साथ विरासत। यह सब एक तीर्थ के रूप में विकसित होंगे और इन स्थानों पर भगवान श्रीकृष्ण की लीला, शिक्षा एवं श्रीमद्भगवद गीता के संदेश उकेरे जायेंगे ताकि वर्तमान पीढ़ी उनके संदेशों को समझकर अपना जीवन सार्थक कर सके।
डॉ. मोहन यादव
(लेखक, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)

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