जानें क्या होता है भद्रा का साया? भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ

By AV NEWS

हिंदू पंचांग और ज्‍योतिष के अनुसार कुछ काल या समय ऐसे होती हैं जिनमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इन्‍हें अशुभ काल कहा जाता है और इन्‍हीं अशुभ कालों में से एक है भद्रा।

वैसे तो भद्रा का अर्थ शुभ होता है परन्तु इसका प्रभाव एकदम विपरीत है। जिस वक्‍त और जिस पहर में भद्रा लगी होती है उस वक्‍त कोई भी शुभ कार्य, विवाह, त्‍योहार आदि नहीं मनाया जाता है।

अक्‍सर भाई-बहन के त्‍योहार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहता है। इस अशुभ काल की वजह से भाई-बहन के रिश्‍ते की खुशियां मनाने वाले इस पवित्र त्‍योहार की अ‍वधि कम हो जाती है।

भद्रा कौन थीं?

दैत्यों को मारने के लिए भद्रा गर्दभ (गधा) के मुख और लंबे पूंछ और 3 पैरयुक्त उत्पन्न हुई। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य नारायण और पत्‍नी छाया की कन्या व भगवान शनि की बहन है। जन्म लेते ही भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी। उसके स्वभाव को देखकर सूर्यदेव को उसके विवाह की चिंता होने लगी और वे सोचने लगे कि इसका विवाह कैसे होगा? सभी ने सूर्यदेव के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। सूर्यदेव ने ब्रह्माजी से उचित परामर्श मांगा।

ब्रह्माजी ने तब विष्टि से कहा कि- ‘भद्रे! बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो तथा जो व्यक्ति तुम्हारे समय में गृह प्रवेश तथा अन्य मांगलिक कार्य करे, तो तुम उन्हीं में विघ्न डालो। जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम बिगाड़ देना। इस प्रकार उपदेश देकर ब्रह्माजी अपने लोक चले गए। तब से भद्रा अपने समय में ही देव-दानव-मानव समस्त प्राणियों को कष्ट देती हुई घूमने लगी। इस प्रकार भद्रा की उत्पत्ति हुई।

क्या होता है भद्राकाल?

जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी में निवास करके मनुष्यों को क्षति पहुंचाती है।

चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में निवास करती है एवं देवताओं के कार्यों में विघ्न डालती है।

कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में निवास करती है। भद्रा जिस लोक में रहती है वहीं प्रभावी रहती है।

इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में भद्रा होगी तभी पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नही। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी।

भद्रा में क्‍यों नहीं बांधते राखी

भद्रा स्‍वभाव से बहुत ही कठोर और उद्दंडी थीं तो उनकी हरकतों से तंग आकर ब्रह्माजी ने उन्‍हें शाप दिया था कि जो भी भद्रा काल में कोई शुभ कार्य करेगा, उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और उसे अशुभ परिणाम प्राप्‍त होंगे। यही कारण है कि भद्रा होने पर रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है।

रक्षाबंधन पर भद्रा कब से है?

रक्षाबंधन पर भद्रा प्रारंभ होने का समय सुबह 5.53 बजे से है, इसके बाद दोपहर 1.32 बजे तक रहेगी। यह भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी। रक्षाबंधन पर राखी बांधने से पहले भद्रा काल का विचार जरूर किया जाता है। इसके बाद ही राखी बांधी जाती है।

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