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जिला अस्पताल : मरीज को गेट से लेकर बेड तक पहुंचाने में करना पड़ती है जद्दोजहद…

व्हील चेयर तलाश कर लाओ, मरीज को स्वयं उस पर बैठाकर वार्ड तक ले जाओ

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उज्जैन।जिला अस्पताल की सारी समस्याएं या तो स्टाफ की कमी से हो रही हैं या जो स्टाफ मौजूद है उससे काम कराने में मैनेजमेंट देखने वाले स्वयं लापरवाह हैं ऐसे में मरीजों और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि ओपीडी में परीक्षण के बाद यदि मरीज को भर्ती कराना है तो उसे वार्ड में भेजा जाता है मरीज व उसके परिजनों के साथ वार्ड बाय जाता है जो मरीज को जरूरत के मुताबिक स्ट्रेचर या व्हील चेयर से वार्ड तक छोड़कर आता है।

इमरजेंसी गेट से वार्ड के पलंग तक ऐसे भर्ती होते हैं मरीज

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समय सुबह 9.50। जिला अस्पताल का इमरजेंसी गेट। आटो में बैठी 75 वर्षीय वृद्ध मरीज। तीन परिजन साथ में। वार्ड तक वृद्धा को कैसे ले जाएं उसकी जद्दोजहद शुरू।

शांतिदेवी तिवारी 75 वर्ष निवासी ढांचा भवन को उनकी बेटी प्रमिला अपने पति व बेटी के साथ आटो से लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। शांतिदेवी ओपीडी के अंदर तक जाने की स्थिति में नहीं थीं। उन्हें डॉक्टर ने आटो में ही चेक किया और वार्ड में भर्ती करने को कहा।

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आटो इमरजेंसी गेट तक पहुंचा। यहां परिजनों ने वार्ड बाय को देखा नहीं मिला, व्हील चेयर तलाशी नहीं मिली। किसी ने बताया वार्ड में जाकर ढूंढ लो। शांतिदेवी के परिजन उन्हें अकेला छोड़कर वार्डों में व्हील चेयर तलाशने पहुंचे। एक वार्ड में व्हील चेयर मिली जिसे लेकर गेट तक आये।

अब उन्हें आटो से व्हील चेयर तक सीढिय़ां पार कर बैठाने की परेशानी। तीनों परिजनों ने बड़ी मुश्किल से शांतिदेवी को व्हील चेयर पर बैठाया। बेटी प्रमिला को व्हील चेयर चलाने में परेशानी हुई तो पति की मदद ली और जैसे तैसे वृद्ध महिला मरीज को वार्ड के बेड तक लेकर गये। इस दौरान जिला अस्पताल के किसी भी स्टाफ ने उनकी मदद नहीं की।

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