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‘ट्रेजडी किंग’ दिलीप कुमार सुपुर्द-ए-खाक

बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार का आज सुबह 7.30 बजे निधन हो गया और फिल्म इंडस्ट्री को आंसुओं में डुबोकर इस लेजेंड्री आर्टिस्ट ने सबको अलविदा कह दिया. उनके शानदार फिल्मी सफर को देखें तो पता चलता है कि क्यों उन्हें अभिनय की दुनिया का लेजेंड माना जाता था. यहां उनके पूरे फिल्मी सफर का ताना-बाना आप जान सकते हैं.

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दिलीप कुमार का जन्म पेशावर में 11 दिसंबर 1922 को हुआ. उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरावर खान और मां का नाम आयशा बेगम था. उनके कुल 12 भाई-बहन हैं. उनके पिता फल बेचने थे. युसूफ खान ने देवलाली में स्कूलिंग की. वो राज कपूर के साथ बड़े हुए जो उनके पड़ोसी भी थे. बाद में दोनों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई.

दिलीप साहब का बॉलीवुड करियर फिल्म ‘ज्वार भाटा’ (1944) से शुरू हुआ था। 1947 में उन्होंने ‘जुगनू’ में काम किया। इस फिल्म की कामयाबी ने दिलीप साहब को चर्चित कर दिया।

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इसके बाद उन्होंने ‘शहीद’, ‘अंदाज’, ‘दाग’, ‘दीदार’, ‘मधुमति’, ‘देवदास’, ‘मुसाफिर’, ‘नया दौर’, ‘आन’, ‘आजाद’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। अपने अभिनय से वो स्वतंत्र भारत के पहले दो दशकों में लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन गए थे। उन्होंने अभिनय के माध्यम से कई मुद्दों को ब्लैक एंड वाइट सिनेमा के पर्दे पर प्रस्तुत किया।

दिलीप साहब ट्रेजेडी किंग के साथ ऑलराउंडर एक्टर भी कहे जाते थे। 25 साल की उम्र में वे देश के नंबर वन एक्टर के रूप में स्थापित हो गए थे। राजकपूर और देव आनंद के आने से ‘दिलीप-राज-देव’ की फेमस त्रिमूर्ति ने लोगों के दिलों पर लंबे समय तक राज किया।

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