उज्जैन नगरीय निकाय चुनाव 2022 : चर्चा, बहस और कवायदें….
तीन साल में 12 दिन कम पहले की बात हैं। नानाखेड़ा क्षेत्र में एक बहुमंजिला इमारत में धमाके हुए थे। इन धमाकों की गूंज देशभर में सुनाई दी। क्या हुआ क्यों हुआ यह तो हर किसी की ज़ुबान पर हैं। यह धमाके फिर से सुनाई देने लगे हैं। बात ही ऐसी हैं। निगम चुनाव मैदान में 179 उम्मीदवारों में एक प्रत्याशी का इन धमाकों से सीधा संबंध है। चर्चा है कि जो तब ‘सुशील’ नहीं थे यदि कार्पोरेट बनकर परिषद में पहुंच गए तो ‘सुशील’ बने रहेंगे, इस बात की क्या गारंटी हैं?
बहरहाल मुद्दे पर आए….07 जुलाई 2019 को कोर्ट के आदेश पर प्रशासन और नगर निगम को नानाखेड़ा स्थित एक बहुमंजिला बिल्डिंग मे धमाके करने पड़े थे। इस बिल्डिंग के निर्माण के लिए ‘सुशील’ तरीके से तीन गृह निर्माण संस्थाओं नमन, अंजलि और आदर्श की जमीन हासिल की। इसमें संस्था के सदस्यों को पहले प्लाट आवंटित किए गए और संस्थाओं के प्लाट अगले ही दिन मेहमाननवाजी-सत्कार के ‘श्रीवास-भवन’ को बनाने के लिए खरीद लिया, जो नियम विरुद्ध था।
‘शांति से जमीन पर पैलेस का निर्माण करने के लिए बड़ा ही ‘सुशील’ तरीका अपनाया और पहले राजस्व विभाग और फिर नगर निगम के अफसरों को अपने साथ मिलाया। इस ‘पैलेस’ का निर्माण करने के लिए बिल्डिंग परमिशन ली गई। परमिशन के पहले डायवर्शन नहीं कराया। नगर निगम के अफसरों ने बिना डायवर्शन किए 23 फरवरी 2013 को बिल्डिंग बनाने की परमिशन दे दी।
तीन गृह निर्माण संस्थाओं की जमीन का डायरवर्शन भी 17 जून 2013 को हुआ। मतलब डायवर्शन के पहले ही बिल्डिंग की परमिशन मिल गई। जमीन का डायवर्शन करने में भी ‘रेवेन्यू’ का खेल और विभाग की भूमिका संदिग्ध रही। सतही तौर पर इस पैलेस का काम बहुत ही ‘सज्जन, सदाचारी, सीधा, सरल’ नजर आ रहा था पर ‘नियम’ की ‘कारस्तानी’ को कागजों छुपाने में सफलता नहीं मिली।
शिकायत पर जांच हुई, गड़बड़ी मिली और मामला सर्वोच्च न्यायालय तक गया। गलत तरीके से जमीन हासिल कर डायवर्शन कराने, बिल्डिंग परमिशन लेने को गलत पाने पर कोर्ट ने बिल्डिंग को तोडने के आदेश दिए। फिर नियमों में ‘अशांति’ कर बनी ‘शांति’ को हटाने के लिए विस्फोट करना पडा…! शांति को हटाने पर करीब 25 लाख रुपए खर्च आया था, जो मालिक से ‘सुशील’ तरीकें वसूल कर निगम के खाते में जमा होने थे। यह राशि जमा हुई या नहीं? यह अभी पड़ताल/जांच का विषय हैं…।
बिल्डिंग को हाईकोर्ट के आदेश के बाद 7 जुलाई 2019 को विस्फोट से उड़ा दिया गया, लेकिन एक बार फिर मामले की अनियमितता पर ईओडब्ल्यू में शिकायत के बाद 12 लोगों पर ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज कर लिया था। इनमें एसडीएम, पटवारी, ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक और सब इंजीनियर भी शामिल थे।
‘शांति’ की इस ‘अशांति’ के बाद तो यह प्रश्न बनता है कि तब ‘सुशील’ नहीं थे तो अब क्या होंगे?