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दूध: 3 साल में 15 रु.महंगा एक बार 2 रुपए सस्ता हुआ

दुग्ध विक्रेताओं की मनमानी, प्रशासन का दखल नहीं

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन दूध के भावों पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। इंदौर में जहां एक दुग्ध विक्रेता संघ ने दूध के दाम 2 रुपए घटाने का निर्णय लिया। उज्जैन में ऐसी कोई हलचल तक नहीं है, जबकि ऐसा कई बार हुआ है कि इंदौर में दूध के दाम बढ़ते ही उज्जैन के दूध विक्रेता बगैर देर किए दाम बढ़ा देते हैं। बीते 3 साल के दौरान उज्जैन में दूध 15 रुपए महंगा, एक बार 2 रुपए सस्ता हुआ।

इंदौर में दूध के भावों को लेकर हलचल मची हुई है, लेकिन उज्जैन में भावों को लेकर कथित दुग्ध विक्रेता संघ में फिलहाल किसी प्रकार की हलचल नहीं है। इंदौर में एक दूध विके्रता संघ ने दूध के दाम 2 रुपए घटाने का निर्णय लिया, है। इधर उज्जैन की बात करें तो दूध के भाव पिछले 3 साल में 6 बार बदले हैं। इस दौरान 15 रुपए कीमत बढ़ गई है। सिर्फ एक बार मई 2021 में लॉकडाउन की वजह से दाम 2 रुपए घटे थे, क्योंकि तब दूध की खपत कम हो गई थी। उज्जैन में कई दिनों से एक ही भाव है। शहर में 58 रुपए लीटर बंदी और कहीं-कहीं 60 रुपए लीटर लीटर बिक रहा है।

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मार्च में बढ़ते और सितंबर में घटते थे दूध के भाव

दूध के दामों का निर्धारण साल में दो बार होता है। मार्च में भाव बढ़ते हैं तो सितंबर में घटते हैं, लेकिन यह व्यवस्था वर्षों पहले बंद हो हो गई है। अब तो जब इंदौर में दूध के भाव बढ़ते हैं, तब उज्जैन के कथित संगठन दूध के दाम बढ़ाने का फरमान जारी कर देते हैं या फिर दो-चार लोग बैठक कर भावों का निर्धारण कर देते हंै। दूध के भाव तय करने को लेकर न तो प्रशासन के अफसर हस्तक्षेप करते हैं और ना ही कुछ बोलते हैं। दूध उत्पादक और विक्रेता संघ मिलकर ही हमेशा भाव तय करते हैं। कई बार भाव में सीधे 5 से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी जाती है।

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शहर में दूध विक्रेताओं का कोई भी मान्यता प्राप्त संघ नहीं होने से इसके दामों को निर्धारण कुछ थोक विक्रेता मिलकर करते हैं। फिलहाल दूध के कारोबार में मंदी है। ऐसे में इसके भाव कम होना चाहिए।
गोपाल यादव, प्रमूख थोक दूध विक्रेता

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