300 रु. शुल्क के पासधारी भी भटकते रहे
पासधारियों को प्रवेश नहीं मिलने पर पहुंचे विधायक… नाराज होकर ताले खुलवाए…
उज्जैन :प्रशासन ओर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लम्बे-चौड़े दावें-वादों के साथ यह नहीं बताया था कि दर्शन में ‘आम’ और ‘खास’ श्रद्धालुओं के बीच अंतर किया जाएगा। मंदिर प्रबंध समिति ने अतिविशिष्ठ, विशिष्ठ के लिए अनुमति-पत्र (पास) जारी किए थे,इसकी जानकारी केवल पास बांटने और पास प्राप्त करने वालों को थी। बताते है कि ‘पास’ तो दूर-दूर तक पहुंचे लेकिन ‘आम श्रद्धालु’ तो कई कष्ट का सामना करते हुए भगवान से दूर ही रह गया।
विशेष पास होने के बाद भी अनेक पासधारियों को मंदिर में प्रवेश के लिए मशक्कत करना पड़ी। ऐसे पास धारकों की प्रवेश नहीं मिलने की लगातार शिकायत मिलने पर विधायक पारस जैन शाम 6 बजे मंदिर पहुंचे। उन्होंने व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताई। पासधारियों के प्रवेश स्थल पर बेरिकेट्स और दरवाजों पर ताले जड़ देखकर विधायक जैन भड़क गए। मौके पर मौजूद अधिकारियों-कर्मचारियों को फटकार लगाकर बेरिकेट्स हटवाएं,दरवाजों के ताले खुलवाएं और फिर कुर्सी लगाकर वहीं बैठ गए।
विधायक बोले- दिनभर शिकायत मिलती रही
पासधारियों के प्रवेश की अव्यवस्था पर नाराज होकर महाकाल मंदिर पहुंचे विधायक पारस जैन बोल दिनभर से अव्यवस्थाओं की जानकारी मिल रही थी,अधिकारियों को अवगत भी कराया जा रहा था। इसके बाद इंतजामों कोई सुधार नहीं हुआ तो मुक्षे जाना पड़ा। कलेक्टर-एसपी को फोने पर सूचना देकर गया था कि मैं आ रहा हूं। इसके बाद भी मेरे सामने ही पासधारियों को रोका जा रहा था। पुलिस-प्रशासन के लोग अपने-अपने वालों के लिए बेरिकेट्स हटाने के साथ गेट के ताले भी खोल रहे थे। ऐसे हालात में नाराज होना पड़ा। इससे तो बेहतर है कि सभी वीआईपी का प्रवेश ही बंद करवा दिया जाए।
व्यवस्था फेल: प्रशासन के खिलाफ नारे लगे…
आस्था के जन सैलाब के सामने प्रशासन के दावे और सभी व्यवस्था फेल हो गई। भक्तों को तीन से चार किमी दूर तक पैदल चलकर भी दर्शन नसीब नहीं हुए। दिनभर विवाद की स्थिति बनती रही। हालत यह हो गई कि भक्तों ने लाइन में लगकर प्रशासन के खिलाफ नारे लगाना शुरू कर दिए। भक्तों को नहीं समझा आया कि एंट्री कहां से होगी। जो लोग नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन कर चुके थे, उन्हें पता ही नहीं चला की महाकाल मंदिर के दर्शन की कतार कहां से लग रही है। बाहर के पुलिस बल को मार्ग की कोई जानकारी नहीं दी।
उन्हें यह पता ही नहीं था कि नागचंद्रेश्वर और महाकाल मंदिर के इंट्री पॉइंट कहां है। शीघ्र दर्शन के पास रात को बांट दिए गए। सुबह तक लोग भटकते रहे।
मंदिर समिति के कर्मचारियों इसकी जानकारी नहीं थी कि पास धारक की इंट्री कहां से होगी। वीआईपी पास की इंट्री के संबंध में भी पुलिस वालों को बताया नहीं गया। कई भक्त चार पहिया वाहन पार्किंग से पैदल मंदिर पहुंचे क्योंकि मुफ्त चलने वाली बस की जानकारी नहीं थी।