पेरेंटिंग शब्द सुनने में बहुत आसान लगता है लेकिन इसे निभाने का तरीका हर किसी के लिए अलग-अलग हैं। कुछ लोग कूल पेरेंटिंग पर विश्वास करते हैं तो कुछ लोग काफी स्ट्रीक्ट पेरेंट्स होते हैं। जब कभी बच्चे स्कूल में अच्छी पर्फामेंस नहीं दे पाते हैं या फिर अंडरकॉन्फीडेंट रहते हैं तो पेरेंट्स इसका कारण नहीं समझ पाते हैं।
माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे हर फील्ड में आगे रहें और जब वो चाहें तो उनसे डरे भी। लेकिन ऐसा नहीं होता है! बच्चों को प्यार के साथ डांट की नहीं बल्कि समझाने की जरूरत होती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आप हर समय वही करें जो बच्चे चाहते हैं। तो फिर कैसे पता चलेगा कि बच्चों के साथ कब सख्ती से पेश आना चाहिए और कब नहीं? दरअसल, एक अच्छी परवरिश तभी होती है जब सही और बैलेंस पेरेंटिंग टिप्स (Balance Parenting Tips) को फॉलो किया जाए। आज हम आपको वो तरीके बता रहे हैं जिससे आप समझ पाएंगे कि पेरेंट्स को बच्चों के साथ कब और कितनी सख्ती से पेश आना चाहिए।
किसी चीज के लिए सीधा मना करने के बजाय उसका कारण बताएं
बच्चे बहुत उत्सुक होते हैं और हर चीज का कारण जानना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप बच्चे को आइसक्रीम, चॉकलेट, पिज्जा या नूडल्स खाने से मना करते हैं तो बच्चे आपसे गुस्सा हो सकते हैं और बात करना भी बंद कर सकते हैं। सिर्फ यही नहीं बच्चे इसका गुस्सा घर के खाने को मना करने से भी निकाल सकते हैं। इसलिए बेहतर पेरेंटिंगके लिए अच्छा होगा कि जब आप बच्चे को नुकसान पहुंचाने वाली किसी चीज के लिए मना करें तो उसका कारण बताएं। बच्चों को बताएं कि चॉकलेट और पिज्जा जैसी चीजों को ज्यादा खाने से क्या नुकसान होता है। इसके अलावा आप बच्चे को किसी डॉक्टर के पास भी ले जा सकते हैं जो बच्चों को इनके नुकसान के बारे में बता सके। इससे बच्चे आपकी बात भी मानेंगे और आपके आसपास न होने पर भी ऐसी चीजों को अवॉइड करेंगे।
बच्चों को अपना एक्सपीरियंस देकर कोई बात बताएं
अगर बच्चों की तरह से किसी डिमांड को आप बिना कारण बताए पूरा नहीं करेंगे या साफ मना कर देंगे तो बच्चों के मन में गुस्सा रह जाता है। बच्चों को लगता है कि उनके माता-पिता उनसे प्यार नहीं करते हैं इसलिए उनकी डिमांड को पूरा नहीं कर रहे हैं। इससे होगा ये कि बच्चे इस चीज का गुस्सा कहीं और दिखाएंगे। उदाहरण के लिए अगर बच्चे छोटी उम्र में फोन की डिमांड करते हैं तो आप बच्चों को अपने एक्सपीरियंस के हिसाब से बताएं कि छोटी उम्र में फोन रखने के क्या नुकसान हो सकते हैं। या आपके आसपास कोई ऐसा उदाहण है तो आप उसे भी बता सकते हैं। साथ साथ ये भी महसूस करते रहें कि बच्चे आपकी बात को समझ रहे हैं या नहीं। इससे आप फ्रेंडली होने के साथ साथ बच्चों के मेंटर भी बन जाएंगे।
जब बच्चे जिद्द करें तो उन्हें NO कहें
कभी-कभी बच्चे बिना किसी कारण के गुस्सा दिखाते हैं। बच्चे कोई एक बात पकड़ लेते हैं और जब तक वो पूरी न हो रोते-चिल्लाते रहते हैं। अक्सर ऐसा बच्चे उस समय करते हैं जब पेरेंट्स के साथ कोई और हो, ताकि माता-पिता बाहर वालों के सामने उनकी इच्छा को पूरा कर दें। अगर आप अपने बच्चों को ऐसा करते हुए देखें तो उन्हें डांटने या मारने के बजाय उनकी आंखों में देखकर ‘NO’ कहें।