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पेशेंट गंभीर हैं, प्रायवेट में ले जाएं या सरकारी में

108 एम्बुलेंस के स्टाफ ने घायल के परिजनों से पूछा…

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन सरकार द्वारा गंभीर बीमार या दुर्घटना में घायलों को तुरंत उपचार के लिये 108 एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है जिसका नियम है कि एम्बुलेंस सेवा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को तत्काल नजदीकी सरकारी अस्पताल में उपचार के लिये भर्ती किया जावे, लेकिन एम्बुलेंस स्टाफ प्रायवेट अस्पताल और नर्सिंग होम से मिलने वाले कमीशन के चक्कर में मरीजों के परिजनों को भ्रमित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला पानबिहार एम्बुलेंस स्टाफ का सामने आया है।

 

यह था मामला

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नजरपुर पेट्रोल पंप के रास्ते पर अज्ञात व्यक्ति गंभीर घायल अचेत अवस्था में पड़ा होने की सूचना मोबाइल नंबर 9522233465 से डायल 108 को दी गई। नजदीकी 108 एम्बुलेंस पानबिहार की थी। वह इवेंट कवर करने मौके पर पहुंची। अचेत पड़े घायल को एम्बुलेंस में डाला। स्टाफ ने उसी घायल के मोबाइल नंबर से कॉल लगाना शुरू किये। पहला कॉल घायल के भाई बनेसिंह ने उठाया। उससे एम्बुलेंस में बैठे कॉल करने वाले ने पूछा कि यह नंबर किसका है तो बनेसिंह ने कहा कि मेरे भाई अशोक निवासी घट्टिया का है तो कॉल करने वाले ने कहा इसे अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी है।

हालत गंभीर है। हम एम्बुलेंस से अस्पताल ले जा रहे हैं। आप बताओ प्रायवेट अस्पताल ले जाएं क्या…। बनेसिंह यह सुनकर सकते में आया लेकिन उसने कहा कि सरकारी अस्पताल ले जाओ हम वहीं आ रहे हैं। कॉल करने वाले ने फोन कट किया और फिर अशोक के मोबाइल से दूसरे नंबर पर कॉल किया जिसे अशोक के रिश्तेदार अनिल ने रिसीव किया। एम्बुलेंस में बैठे व्यक्ति ने अशोक के गंभीर घायल होने की सूचना देकर पूछा प्रायवेट अस्पताल ले जाएं क्या। हालांकि अनिल ने भी सरकारी अस्पताल ले जाने को ही कहा।

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एम्बुलेंस स्टाफ ने ही फोन लगाया इसकी जानकारी नहीं

108 एम्बुलेंस के मैनेजर गौतम सिंह राजपूत को जब उक्त घटना की जानकारी दी गई तो उनका कहना था कि एम्बुलेंस स्टाफ ने ही घायल के परिजनों को फोन लगाया ऐसा नहीं होता। घायल के मोबाइल से कोई ओर भी फोन लगा सकता है। पानबिहार 108 एम्बुलेंस स्टाफ से इसकी जानकारी प्राप्त करूंगा।

रजिस्टर में एम्बुलेंस को सूचना देने वाले का मोबाइल नंबर डाला

पानबिहार एम्बुलेंस घायल को जिला चिकित्सालय लेकर पहुंची। यहां डॉक्टर ने घायल का परीक्षण किया और उसे मृत घोषित कर शव को पीएम के लिये मरचूरी रूम में रखवा दिया। घायल को सड़क से लावारिस हालत में उठाने के बाद घायल के ही मोबाइल से उसके परिजनों को एम्बुलेंस स्टाफ बार-बार फोन लगाकर प्रायवेट अस्पताल में ले जाने की सलाह देकर अनुमति क्यों मांग रहा था यह बात समझ से परे है। वहीं अस्पताल के रजिस्टर में घायल को लाने वाले के नाम के स्थान पर एम्बुलेंस को सूचना देने वाले का मोबाइल नंबर लिखा गया।

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