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प्याज रूलाएगा प्रत्याशियों को…!

ग्रामीण क्षेत्रों में चुनौतियों पर ध्यान दे रही कांग्रेस

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कांग्रेस आज-कल

ललित ज्वेल. उज्जैन नई पीढ़ी इस बात से अनभिज्ञ होगी कि प्याज के भाव बढऩे पर एक बार दिल्ली की सरकार अच्छे काम करने के बावजूद हार गई थी। देश की राजनीति में ऐसा पहली बार देखा गया, जिसका विश्लेषण राजनीतिक चिंतक भी नहीं कर पाए। उस समय के राजनीतिज्ञों ने माना था कि लग तो रहा था दिक्कत आएगी, लेकिन सरकार ही पलट जाए, ऐसी आशंका नहीं थी। एक बार फिर प्याज के आसमान छूते भावों ने जहां शहरवासियों के चेहरों पर सलवटें ला दी है वहीं ग्रामीण अंचलों में किसानों में रोष है।

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शहर जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष कमल पटेल से जब चर्चा की गई तो उन्होने आरोप लगाया कि ग्रामीण अंचलों में किसानों में इस बात का आक्रोश है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ा किया। जब बम्पर फसल आई तो आखिर क्या कारण थे कि आज इसके भाव आसमान छूने को बेकाबू हैं? इधर चर्चा में ग्रामीण अंचलों में किसानों का कहना है कि जब भाव कम थे, तब प्याज का स्टॉक करने का मन बनाया।

जब प्याज के भाव 20 से 25 रु. प्रति किग्रा तक आने लगे तो सरकार ने 40 प्रतिशत स्टॉम्प ड्यूटी बढ़ा दी। इसके कारण उत्पादक घबरा गए। उन्होंने सोचा कि ऐसा न हो कि प्याज फेंकना पड़े। ऐसे में बाजार में बेच दिया। किसानों का आरोप है कि सरकार ने जमाखोरों पर अंकुश नहीं रखा। अब सारा प्याज व्यापारियों के पास है। भाव 100 रू. प्रति किग्रा तक जाने की आशंका है, लेकिन यह भाव व्यापारियों को लाभ देगा, किसानों की जेबें तो खाली ही है।

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यह है बूथ मैनेजमेंट की रणनीति

इस प्रश्न पर कि पिछले चुनाव में अंचलों में कांग्रेस की टेबलें तक नहीं लग पाई थी। इस बार कैसे की है जमावट? उन्होंने बताया कि अब ब्लॉक से मंडल और मंडल से सेक्टर बांट दिए गए हैं। सेक्टरों के अंतर्गत बूथ बांटे गए हैं। अंतिम छोर तक कार्यकर्ताओं की जवाबदारी तय कर दी गई है। पिछली बार से अधिक मजबूत होकर लड़ रही है कांग्रेस। दावा किया कि जनसमर्थन इतना है कि भाजपा के जनसंपर्क अभियानों का बहिष्कार हो रहा है। अनेक गांवों में तो भाजपा नेता घुस तक नहीं पा रहे हैं। जिले की सभी विधानसभा सीटों पर कामयाबी मिलेगी। मतदाता सूचियों में इस बार फर्जी वोटर्स पर खास नजर है। एक भी वोट फर्जी नहीं डल पाएंगे। फिलहाल प्रशासन निष्पक्ष दिखाई दे रहा है। गड़बड़ी दिखी तो चुनाव आयोग को शिकायत करेंगे।

आगे देखो…होता है क्या..

कमल पटेल के अनुसार आने वाले दिन रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेंगे। 2 नवंबर के बाद से बड़े नेताओं के दौरे शुरू होंगे। नाम वापसी के बाद चौंकाने वाली स्थिति रहेगी। जहां भी बगावत/विरोध है, वहां तालमेल बैठ जाएगा। भाजपा को सीधी चुनौती मिलेगी। इस बार अंचलों से लेकर शहरी क्षेत्रों के मोहल्लों तक बदलाव की बयार है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में बड़े नेताओं का अपना वजूद है। टिकट वितरण में नेताओं के समर्थकों के बीच टकराव देखने में आया, लेकिन कांग्रेस का उसमें नुकसान नहीं होगा। कांग्रेस जहां थी, जहां रूकी और जहां से पुन: चली… उसका ग्राप देखें तो हम फिर शिखर की ओर जा रहे हैं। ठहरे हुए पानी को बहने के बाद गति लेने में कुछ समय तो लगता है। वह समय पुरा हो गया, अब सैलाब का वक्त है, जिसमें भाजपा के गढ़ के गढ़ बह जाएंगे।

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