प्रदेश के 173 कॉलेज ही नैक के दायरे में…

केवल एक को मिली ए++ ग्रेड, वह भी उज्जैन से
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जितनी अच्छी ग्रेडिंग, उतना ज्यादा अनुदान
उज्जैन। मप्र में 536 सरकारी यूजी-पीजी डिग्री कॉलेज में अब तक 173 कॉलेज ही नैक के दायरे में आए हैं। इनमें से भी पूरे प्रदेश में केवल एक ही कॉलेज को ए++ ग्रेड मिली हैं और एक कॉलेज का नैक की ओर से ए+ मिला है। मप्र में कॉलेजों को अपग्रेडेशन करने और नैक ग्रेडिंग बेहतर बनाने के लिए दो साल से तैयारी चल रहे हैं।
बजट का भी प्रावधान किया गया है। इसके बाद भी 50 प्रतिशत कॉलेजों की नैक ग्रेडिंग नहीं हुई है। मप्र में 536 सरकारी यूजी-पीजी डिग्री कॉलेज चल रहे हैं, लेकिन इनमें से भी अब तक महज 173 कॉलेज ही नैक के दायरे में आ पाए हैं। इनमें से भी पूरे प्रदेश में माधव साइंस कॉलेज उज्जैन को ए++ और गवर्नमेंट टीआरएस कॉलेज रीवा को ए+ मिला है। सिर्फ ये दो कॉलेज ही इन कैटेगरी में अपनी जगह बना पाए हैं।
100 नए कॉलेजों की नैक ग्रेडिंग के लिए कवायद- हालांकि उच्च शिक्षा विभाग ने 2023 तक वर्तमान 173 के साथ 100 नए सरकारी कॉलेजों की नैक से ग्रेडिंग कराने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए विश्व बैंक परियोजना और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा विभाग की मदद से विकसित कर रहे हैं। नए कॉलेजों में जनभागीदारी से स्मार्ट क्लासरूम बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण काम करवायें जा रहे हैं।
प्रदेश के 173 कॉलेज
मप्र में पिछडऩे की मुख्य वजह यह है कि अभी भी कॉलेज में सबसे जरूरी कंप्यूटर लैब और विभिन्न विषयों के प्रैक्टिकल लैब और स्मार्ट रूम मौजूद नहीं है। यह तीनों ही चीजें नैक की ग्रेडिंग के लिए अनिवार्य बिंदुओं में शामिल है।
सी और डी ग्रेड कॉलेजों को नहीं मिलता अनुदान
यूजीसी द्वारा ऐसे संस्थानों को विकास के लिए अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान संस्थान को मिले नैक ग्रेडिंग के आधार पर दिया जाता है। अब तक अनुदान की पात्रता सिर्फ ए और बी ग्रेड के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को ही दी जाती रही है। सी व डी ग्रेड कॉलेजों को यूजीसी कोई अनुदान नहीं देता है, इसलिए नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करने वाले कॉलेज व विश्वविद्यालयों का प्रयास रहता है कि कैसे भी उन्हें ए या बी ग्रेड मिल जाए।