Advertisement

प्रशासन, मंंदिर प्रबंध समिति को सहज-सरल भक्तों से अधिक चिंता VVIP की…

अव्यवस्थाओं पर जमकर हो रही आलोचना…

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन नागपंचमी पर्व और श्रावण सोमवार के चलते महाकालेश्वर मंदिर रिकॉर्ड श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। आस्था के जन सैलाब का प्रशासन को पहले से पता था, इसके बावजूद की गई सभी व्यवस्था फेल हो गई। कई भक्तों को तीन से चार किमी दूर तक पैदल चलकर भी दर्शन नसीब नहीं हुए।

अव्यवस्थाओं से खिन्न श्रद्धालु और नागरिक सोशल मीडिया पर तीखे कमेंट्स दे रही है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म प्रशासन और महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के लिए कहा जा रहा है। इन्हें व्यवस्थाओं से कोई लेना-देना नहीं है इन्हें तो सिर्फ पैसा कमाना है।

Advertisement

वीवीआईपी सबसे पहले बन्द किया जाना चाहिए।- मनोज सक्सेना।

Advertisement

भिया फोटो खींचकर इंस्टा और फेस बुक पर स्टोरी डालना बस यही दिखावे की भक्ति रह गई है। बाकी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं, फोकट की डिजाइन डालना है बस… – विजय राठौर।

जब तक मंदिर से वीआईपी कल्चर खत्म नहीं होगा,तब तक वहां पर यहीं हाल रहेगा।– आशीष चौहान।

मंदिर साधना का नही, टूरिस्ट भीड केन्द्र बनकर रह गया है। अपने घर, गांव, शहर के प्राचीन मंदिर में कभी ना जाने वाले, अब हर तीर्थ मे टूरिस्ट बनकर पहुंच रहे है। – राहुल शर्मा।

मैने भी सुबह लाइव दर्शन देखे थे मोबाइल में उसमे कुछ वीआईपी आराम से बैठ कर दर्शन कर रहे थे। जो लोग रात से लाइन में खड़े है,उन्हे बाहर से दर्शन करा रहे हैं यह कौन सा तरीका है। साल भर में एक बार मंदिर खुलता है समझना चाहिए प्रशासन को..। गौरव प्रजापति।

इनके खिलाफ सबको मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए। – विशाल पटेल।

मैं भी पिछले साल गया था, अब मन ही नहीं करता ऐसे घटिया व्यवस्था देखकर। -विकास निगम।

मंदिर बस नेताओं या वीआईपी लोगो के लिए रह गया है, आम आदमी के लिए नहीं है। वीआईपी लोग भगवान को छू सकते हैं, दूध दही जल चढ़ा सकते हैं। आम आदमी धक्का खाने के बाद रुक कर दर्शन नहीं कर सकते। कैसी व्यवस्था है, ये कैसा न्याय है। – गौरव बन्ना।

कुछ नहीं भाई सब वीआईपी और पैसे की माया है। – शरद आर्य।

ऐसा हर साल होता हैं, जनता धक्के खाती हैं। – चेतन राजानी।

इन्हें व्यवस्थाओं से कोई लेना-देना नहीं है इन्हें तो सिर्फ पैसा कमाना है। – अभिषेक सेंगर।

वीवीआईपी की व्यवस्था को सबसे पहले बन्द किया जाना चाहिए। मनोज सक्सेना।

एक भक्त की यह भी पीड़ा

बाबा महाकाल के दर्शन के लिए तीन भक्त राजस्थान से उज्जैन आए थे ई-रिक्शा वाले ने रेलवे स्टेशन से सर्किट हाउस तक का किराया 400 रु. लिया महाकाल क्षेत्र की एक चाय की दुकान पर 3 समोसे और 3 चाय ली। दुकानदार को 200 का नोट दिया, तो उसने 30 रु. दिए। हिसाब समझ नहीं आया तो चायवाले ने बताया कि 75 चाय के समोसे के 90 रु.। इसके बाद 5 रु. और वापस करते हुए ऐसे देखा मानो एहसान कर रहा हो। कमाने की हद होती है।
– ढाकेर रतन

Related Articles