बच्चों के झूठ बोलने से हैं परेशान तो करें ये काम

बचपन में बच्चों का झूठ बोलना आम बात है। लेकिन जब यह आदत बन जाए तब पेरैंट्स को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बच्चों की इस आदत के कई दुष्परिणाम सामने हो सकते हैं। जरूरी है कि इसे वक्त रहते ही खत्म कर दिया जाए। अगर आपका बच्चा हर बात पर झूठ बोलने लगा है तो इसे पहचाने और ऐसा करने से रोकें। यहां बताई कुछ बातों को अपनाकर आप बच्चों को झूठ बोलने से रोक सकती हैं

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क्या करें पेरैंट्स  खुद बने ईमानदार

बच्चों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाना जरूरी है। लेकिन पहले पेरैंट्स को खुद ईमानदार बनने की जरूरत है। अक्सर जब घर पर कोई शख्स आता है तो मां-बाप उससे मिलने की जगह बच्चों को भेज देते हैं और ये झूठ बोलने को कहते हैं कि पापा या मम्मी घर पर नहीं हैं। ऐसा भूलकर भी ना करें। ये छोटी-छोटी बातें बच्चों पर बुरा असर डालती हैं। इसे देखकर वे भी इसे दोहरा सकते हैं। एक सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर बच्चे अपने मां-बाप को देखकर ही झूठ बोलना सीखते हैं।

प्यार से समझाएं

बदलें सवाल पूछने का तरीका

बच्चों में झूठ बोलने की आदत को छुड़वाने के लिए सबसे बैस्ट तरीका है पेरैंट्स अपने सवाल करने के तरीके को बदलें। जैसे- होमवर्क किया या नहीं, ब्रश किया या कमरा साफ किया। इन सवालों से बचने के लिए बच्चे झूठ बोलते हैं। सवाल का तरीका बदलते हुए पैरेंट्स को ऐसे पूछना चाहिए- तुम कब तक ब्रश करोगे या फिर कमरा कब साफ करोगे। ऐसे सवालों से बच्चों को डांट की आशंका कम महसूस होगी और वे खुद-ब-खुद सही जवाब दे देंगे।

सही-गलत का फर्क बताएं

बच्चे मासूम होते हैं। पांच साल या उससे ज्यादा उम्र तक के बच्चों को ये समझ नहीं आता कि सही क्या है और गलत क्या। बच्चों को उनकी गलतियां बताएं और गलती से सीखने की बात समझाएं। ऐसा करने से बच्चा डरेगा नहीं और ना ही झूठ बोलेगा।

तारीफ जरूर करें 

बच्चों को मोटिवेट करना बहुत जरूरी है। जब बच्चा सच बोले या फिर कोई अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ करना बिलकुल ना भूलें। बच्चे तारीफ सुनकर खुश होते हैं और सच बोलते हैं।

वॉर्निंग देकर छोड़ें

जब बच्चा पहली बार झूठ बोले और वह सामने आ जाए तो उसे सजा देने की जगह वॉर्निग देकर छोड़ दें। दूसरी बार वही गलती करने पर सजा के बारे में सोचें।

क्या ना करें-

-बच्चों के सामने भूलकर भी झूठ ना बोलें।

-गलती करने पर उन्हें डांटे नहीं, पहले समझाएं ।

– सख्त सजा देने से बचें।

-हर बात पर टोकाटाकी ना करें।

– बच्चों के सामने ही उनकी बुराई ना करें।

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