बायोगैस प्लांट का अब दौड़ेगा काम!

आज एमआईसी में प्रस्ताव पास पर मंथन…
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मंछामन मल्टी में आवास आवंटन पर भी प्रस्ताव…

पहली बार बिना प्री एमआईसी के होंगे फैसले…
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन 50 करोड़ की लागत से प्रस्तावित सीबीजी (कंप्रेस्ड बायोगैस ईकाई ) को गोंदिया में स्थापित करने का प्रस्ताव आज एमआईसी में रखा गया, जिस पर मंथन हो रहा है। दोपहर बाद इस पर फैसला होगा। एमआईसी की हरी झंडी मिलते ही इसका काम रफ्तार पकड़ सकेगा।
महापौर मुकेश टटवाल की अध्यक्षता में सुबह 11. 30 के बाद एमआईसी की बैठक ग्रांड होटल परिसर में महापौर कार्यालय पर शुरू हुई। इसमें तीन प्रस्ताव रखे गए। मुख्य प्रस्ताव गोंदिया में कचरे से बायोगैस बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। गेल इंडिया ने इसे बनाएगी। बैठक में इस बात पर भी मंथन हो रहा है कि गेल के अलावा अन्य कंपनियों ने भी निगम को गेल से ज्यादा पैसा देने का प्रस्ताव रखा है। ये कंपनियां ज्यादा पैसा देने को तैयार हैं। निगम इसके लिए टेंडर भी जारी कर सकता है।
बैठक में नगर निगम के अधिकारी और एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, रजत मेहता, योगेश्वरी राठौर, अनिल गुप्ता, कैलाश प्रजापत आदि शामिल हैं। इसमें सीबीजी इकाई स्थापना सहित तीन प्रस्तावों पर मंथन हो रहा है। एमआर फाइव और गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पुराने लिगेसी वेस्ट के बायो रेमेडियेशन के लिए बनाई गई डीपीआर पर भी चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी घटक के अंतर्गत मंछामन क्षेत्र की निर्माणाधीन ईडबल्यूएस आवासीय इकाइयों के शासन निर्देशानुसार प्राप्त आवेदनों में 12 हितग्राहियों के अनुमोदन और स्वीकृति का प्रस्ताव भी रखा जाएगा। इस पर भी फैसला होगा।
7 एकड़ जमीन पर प्लांट के प्रस्ताव पर चर्चा
गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड ट्रेंचिंग ग्राउंड की करीब 7 एकड़ जमीन पर 50 करोड़ रुपयों की लागत से बायोगैस प्लांट लगाने की योजना है। इसके तहत 150 टन गीले कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी। गेल इंडिया लिमिटेड ने पीपीपी मोड पर यह प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव निगम को भेजा है। इस प्लांट में गीले कचरे से गैस बनाई जाएगी और फिर इसे एजेंसियों को बेचा जाएगा। एजेंसियों को बेचे जाने के अलावा शहर में इसके प्लांट लगाने पर भी काम किया जा सकेगा। इस तरह शहर कचरे से कमाई कर सकेगा।
कंप्रेस्ड बायो गैस क्वालिटी के मामले में सीएनजी से बेहतर होती है। शहर में रोजाना 200 टन से ज्यादा कचरा निकलता है, जिसमें से 60 फीसदी गीला और 40 फीसदी सूखा होता है। यह सारा कचरा शहर से 20 किलोमीटर दूर गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर वाहनों के जरिए पहुंचाया जाता है। वर्तमान में ट्रेंचिंग ग्राउंड पर जो प्लांट संचालित किया जा रहा है, उसकी देखरेख कंपनी करती है, जिसे सालाना एक करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है। कंपनी यहां कचरे से जैविक खाद बनाने का काम करती है।









