बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर 34 पैसे प्रति यूनिट का बोझ

नए साल में विद्युत की दर बढ़ाने से पहले फ्यूल कास्ट एडजेस्टमेंट वृद्धि
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उज्जैन। अभी तो विद्युत की दर बढ़ाने की चर्चा ही चल रही है, उससे पहले विद्युत कंपनी ने अपने उपभोक्ताओं की जेब पर 34 पैसे प्रति यूनिट का बोझ डाल दिया है। दरअसल कंपनी ने फ्यूल कास्ट एडजेस्टमेंट में वृद्धि कर दी है और यह जनवरी माह से लागू हो चुकी है।
मध्यप्रदेश में बिजली के दाम बढऩे से पहले ही फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट (एफसीए) बढ़ गया है। मप्र विद्युत नियामक आयोग से आदेश जारी हो गया है। नई दर एक जनवरी से नई दर लागू हो गई है। अब 34 पैसे हर यूनिट पर देना होगा। अभी तक 20 पैसे प्रति यूनिट एफसीए था।
बता दें कि हर तीन माह में एफसीए तय किया जाता है। कंपनी इस संबंध में मप्र विद्युत नियामक आयोग को याचिका दाखिल करती है। पुरानी दर 31 दिसंबर तक लागू थी। एक जनवरी से 31 मार्च तक के लिए एफसीए की नई दर प्रभावी हो चुकी है। 14 पैसे की इस बार बढ़ोतरी होने से मौजूदा एफसीए 34 पैसे प्रति यूनिट हो गई है।
एक साल में 37 पैसे की बढ़ोतरी
बिजली कंपनियों ने पिछले एक साल में अब तक एफसीए में 37 पैसे की बढ़ोतरी की है। साल भर पहले कंपनियां माइनस 17 पैसे फ्यूल कास्ट वसूल रही थीं। अब ये 20 पैसे प्रति यूनिट था। इस बार बिजली कंपनियों ने आयोग को एफसीए में 14 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाकर 34 पैसे प्रति यूनिट के प्रस्ताव को मंजूर किया गया है। बताया जा रहा है कि आयातित कोयला खरीदने के कारण बिजली की लागत बढ़ी है।
बिजली अधिकारियों का कहना है कि एफसीए वह राशि है, जो बिजली कंपनी ईंधन या कोयले की अलग-अलग कीमत के आधार पर बिल में लागू होने वाली अतिरिक्त राशि होती है। कोयला या ईंधन की कीमत मांग और आपूर्ति के आधार पर हर महीने बदलती है।
इसके चलते बिजली उत्पादन की लागत भी बदल जाती है। बिजली उत्पादन कंपनियां इसकी वसूली बिजली वितरण कंपनियों से करती हैं। वितरण कंपनियां ये चार्ज उपभोक्ता पर लगाती हैं। टैरिफ साल में एक बार तय होता है। वहीं एफसीए हर तीन माह में बदलता है। एफसीए का निर्धारण का प्रस्ताव बिजली कंपनियां मप्र विद्युत नियामक आयोग को सौंपता है। आयोग ही यह दर तय करता है। विद्युत कंपनी के अधिकारियों के अनुसार इस संबंध नियामक आयोग से मंजूरी मिल चुकी है। एफसीए 34 पैसे तय हो गया है। एक जनवरी से नई दर प्रभावी हो चुकी है।









