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बीमारी का तनाव बन गया मनोरोग, इसी असंतुलन ने ली प्रोफेसर शर्मा की जान

8 महीने से निराशाभरी बातें कर रहे थे…

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन कोरोना काल में हर एक शख्स से जुड़े किसी ना किसी व्यक्ति की मौत हुई है। इसके बाद से समाज के भीतर नकारात्मकता फैली हुई है। हर वर्ग के लोगों के मन कमजोर हो चुके हैं। इसी के चलते शहर में आत्महत्या के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

 

शनिवार सुबह संस्कृत महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. हिम्मतलाल शर्मा द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया। पत्नी बच्चे उसी कमरे में सो रहे थे जहां उन्होंने फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया। अब तक प्रो. की पत्नी के बयान पुलिस दर्ज नहीं कर पाई है क्योंकि परिवार शोक में हैं। करीबी दोस्तों से बात करने पर पता चला कि बहुत ही छोटी सी बात के तनाव को लेकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। संस्कृत कॉलेज में उनके साथी प्रोफेसर श्रेयस पंड्या से बात करने पर पता चला कि प्रो. शर्मा को करीब 8 महीने पहले शुगर की बीमारी होने का पता चला था। इसी को लेकर वे तनाव में थे उन्हें ऐसा लग रहा था कि अब बीमारी के चलते वे पत्नी बच्चों का ध्यान कैसे रख पाएंगे। डॉक्टर को दिखाया और इलाज भी चल रहा था। 8 दिन पहले ही उन्होंने इंदौर के किसी डॉक्टर से परामर्श लिया था। बताया जाता है कि इसके बाद से वे और ज्यादा तनाव में आ गए थे।

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हाटकेश्वर विहार में 40  लाख रुपए का मकान लेने वाले थे

प्रो.शर्मा बचपन से परिवार से दूर हैं। वे 7 साल की उम्र में रामानुजकोट में वेदअध्ययन के लिए आ गए थे। इसके बाद उज्जैन में ही रहे।शास्त्री की पढ़ाई पूरी करने के बाद संस्कृत पढ़ाना शुरू कर दिया। आचार्य की पढ़ाई पूरी करने के बाद पाणिनी संस्कृत कालिदास अकादमी में आचार्य कुल में अस्थायी नौकरी मिल गई। इसी के साथ पाणिनी संस्कृत महाविद्यालय में अतिथि विद्वान बन गए।

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साल 2013-14 से वे स्वयं का मकान बनाना चाहते थे। तीन साल पहले एमपीपीएससी से चयन होकर असि. प्रोफेसर बनने के बाद पिछलेेेेे दिनों उन्होंने बैंक से 40 लाख रुपए का लोन करवाया और हाटकेश्वर में प्लॉट खरीद लिया। मकान का निर्माण शुरू होने वाला था उसके पहले ही शनिवार सुबह उन्होंने आत्महत्या कर ली।

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