भगवान महाकालेश्वर की श्रावण-भादौ मास की सवारी का निर्णय जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में…!

श्रावण मास 25 जुलाई से होगा प्रारंभ
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26जुलाई सोमवार को निकलेगी पहली सवारी
उज्जैन। बाबा महाकाल की हर वर्ष श्रावण-भादौ मास में सवारी निकलती है। इस वर्ष श्रावण मास 25 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। 26 जुलाई को सोमवार होने से श्रावण मास की पहली सवारी इस दिन निकलना है। इधर प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि इस दिशा में फिलहाल कोई विचार नहीं किया गया है। जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। तब तक कोरोना संक्रमण को लेकर स्थितियां साफ हो जाएंगी।
जिला प्रशासन द्वारा महाकालेश्वर मंदिर में 28 जून से श्रद्धालुओं को दर्शन कराने हेतु रोड़ मेप बना रहा है। अभी यह तय नहीं है कि 25 जून के बाद प्रशासन इस रोड मेप में किस प्रकार की नीतियां तय करता है। अभी सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं। इधर जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक बैठक में आंतरिक रूप से यह तय कर लिया गया है कि फिलहाल 15 जुलाई तक महाकाल बाबा की सवारी निकालने को लेकर कुछ भी तय नहीं किया जाएगा।
तब तक कोरोना संक्रमण को लेकर स्थितियां साफ हो जाएगी। उसके बाद ही तय होगा कि श्रावण मास में श्रद्धालुओं को दर्शन हेतु प्रवेश किस प्रकार से दिया जाए और 26 जुलाई को श्रावण मास के पहले सोमवार को निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी को लेकर क्या किया जाए? सूत्रों का कहना है कि भोपाल से भी निर्देश हैं कि इस मामले में कोई जल्दबाजी न की जाए। अभी निर्णय लेने और बाद में संशोधन होने पर असमंजस की स्थितियां रहेंगी। ऐसे में फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में है कि श्रावण मास में श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था कैसी रहेगी और बाबा महाकाल की सवारी का स्वरूप क्या होगा?
ताकि बच सके धरोहर…प्रदेश के पुरातत्व विभाग ने लिया निर्णय…
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में सतीमाता मंदिर क्षेत्र के विशेष हिस्से में नहीं चलेगी पोकलेन और जेसीबी
उज्जैन। प्रदेश के पुरातत्व विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया है। इसके तहत अब महाकालेश्वर मदिर के सतीमाता मंदिर क्षेत्र में करीब 400 वर्गफिट के दायरे में जेसीबी या पोकलेन नहीं चलाई जाएगी। खुदाई का काम गेती-फावड़े की सहायता से होगा। ताकि यहां जमीन में दबी पुरातत्व महत्व की ऐतिहासिक धरोहरों को बचाया जा सके और मंदिर के प्राचीन इतिहास में नए तथ्य जुड़ सकें। पिछले दिनों मंदिर में भोपाल से एक पुरातत्वविदें का दल आया था। दल ने अपनी रिपोर्ट बनाकर उच्च स्तर तक भेजी थी। वहां अध्ययन के बाद एक आदेश जारी हुआ है। आदेश में ठेकेदार को तथा जिला प्रशासन को कहा गया है कि अब सती माता मंदिर क्षेत्र में करीब 400 वर्गफिट एरिया में कोई खुदाई कार्य पोकलेन या जेसीबी से नहीं होगा। गेती-फावड़े का उपयोग होगा। ताकि जिस स्थान पर अवशेष मिले थे,वहां मंदिर की नींव एवं अन्य स्तंभ आदि मिल सकें। यह दावा किया जा रहा है कि ऐसा होगा ही। इसीलिए फिलहाल उस मटेरियल को तेजी से हटाया जा रहा है,जो जेसीबी के माध्यम से चिंहित क्षेत्र में ढेर बनाकर रख दिया गया था। इस ढेर के हटने के बाद सावधानी के साथ काम होगा तथा नीचे करीब 20 फिट तक पहुंचा जाएगा।