भारतीय सेना को मिला पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र-1

जानें इसकी ताकत और विशेषताएं

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भारतीय सेना को स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र-1 (Nagastra-1) का पहला बैच मिल गया है। इस अत्याधुनिक ड्रोन के साथ अब सेना किसी भी समय आतंकियों और दुश्मनों के ठिकानों पर सटीक और घातक एयर स्ट्राइक कर सकती है। नागास्त्र-1 को देश की ही कंपनी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमिटेड और जेड मोशन ऑटोनॉमस सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड ने मिलकर बनाया है, जो सोलार इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनियां हैं। भारतीय सेना को नागास्त्र-1 के पहले बैच में 120 ड्रोन्स प्राप्त हुए हैं।

नागास्त्र-1 की विशेषताएं:

लॉयटरिंग म्यूनिशन: ये ड्रोन्स दुश्मन के बंकर, पोस्ट और हथियार डिपो को खत्म करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन्हें सेना लॉयटरिंग म्यूनिशन कहती है।

उड़ान क्षमता: यह ड्रोन 4500 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकता है और 60 से 90 मिनट तक हवा में रह सकता है।

ऑपरेशनल रेंज: ड्रोन की वीडियो लिंक रेंज 15 किलोमीटर है और जीपीएस टारगेट रेंज 45 किलोमीटर तक है।

रीयल टाइम वीडियो: यह ड्रोन रीयल टाइम वीडियो बनाता है, जिससे हमला और सर्विलांस दोनों में सक्षम होता है।

दूसरा वैरिएंट: मैन-पोर्टेबल वैरिएंट को दो सैनिक मिलकर ढो सकते हैं और इसमें 4 किलोग्राम विस्फोटक लगाया जा सकता है।

दिन-रात ऑपरेशन: इसमें ड्यूल सेंसर लगे हैं, जो दिन और रात दोनों समय में काम करते हैं।

सस्ता विकल्प: नागास्त्र-1 इजरायल और पोलैंड से आयात किए गए हवाई हथियारों से 40 फीसदी सस्ता है।

नागास्त्र-1 का परीक्षण चीन सीमा के पास लद्दाख की नुब्रा घाटी में सफलतापूर्वक किया गया है। सेना को कुल 450 नागास्त्र-1 ड्रोन्स दिए जाने की योजना है। इन ड्रोन का इस्तेमाल भविष्य में सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकवाद के खिलाफ अभियानों में किया जाएगा, जिससे फाइटर जेट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी।

नागास्त्र-1 के शामिल होने से भारतीय सेना की ताकत में वृद्धि होगी और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह ड्रोन तकनीक भारतीय सुरक्षा बलों को आधुनिक युद्धक तकनीकों से लैस करेगी और दुश्मनों के खिलाफ निर्णायक बढ़त प्रदान करेगी।

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