मेयर स्ट्रीट बनने से पहले तोड़ी, 1 करोड़ रुपए की चपत

महापौर को भी पता नहीं अचानक किसने और क्यों तोड़ दी दुकानें, अफसरों की भी चुप्पी
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:महाकाल मंदिर रोड पर मेयर स्ट्रीट को बनने से पहले ही अचानक तोड़ देने का मामला तूल पकड़ रहा है। खास बात यह कि अफसर ही नहीं महापौर मुकेश टटवाल खुद इसको लेकर बेखबर हैं। बहरहाल, इस तोडफ़ोड़ के कारण एक करोड़ रुपए से ज्यादा पानी में डूब गए हैं।
हरिफाटक ओवरब्रिज के पास मन्नत गार्डन की जगह पर करोड़ों रुपए खर्च कर मेयर स्ट्रीट बनाने का निर्णय निगम प्रशासन ने महापौर की सहमति से लिया था। महापौर ने इसे ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में धरातल पर उतारने की योजना बनाई। स्मार्ट सिटी के सीईओ आशीष पाठक के नेतृत्व में योजना बनी और ताबड़तोड़ काम भी शुरू कर दिया गया था। योजना के तहत 20 से अधिक दुकानें बनाई जा चुकी थीं और केवल स्लैब डालना बाकी था। दो दिन पहले इसे पूरी तरह तोड़ दिया गया। बड़ी बात यह कि इसे तोड़ा किसने, इसकी जानकारी न अधिकारियों के पास है न महापौर के पास।
निगमायुक्त ने भोपाल में डाला डेरा:नगर निगम के आयुक्त पिछले दो दिनों से भोपाल में डेरा डाले हुए हैं। अक्षरविश्व ने इस मामले में उनसे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किया। स्मार्ट सिटी के आशीष पाठक भी इंदौर के एक हॉस्पिटल में स्वास्थ्य खराब होने के कारण एडमिट होना बताए जा रहे हैं।
मुद्दे की बात मेयर स्ट्रीट क्यों जोड़ी?
इस घटनाक्रम में बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि मेयर स्ट्रीट की योजना दो प्रोजेक्ट के बाद क्यों जोड़ी गई। इसका जवाब देना अब अफसरों को भारी पड़ रहा है। बुधवार को हुई एमआईसी में भी यह मुद्दा उठा, लेकिन इसके बारे में अभी कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं।
मेयर स्ट्रीट की मिनी स्टोरी
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मेयर स्ट्रीट के पीछे पार्किंग का लोकार्पण किया था।
इसके पहले उच्च शिक्षा मंत्री रहते वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव ने शेड निर्माण का भूमिपूजन किया था।
बाद में मेयर स्ट्रीट की योजना जोड़ दी गई।
मेयर स्ट्रीट को अचानक किसने और क्यों तोड़ा, इसकी मुझे जानकारी नहीं।-मुकेश टटवाल, महापौर
मुद्दे के 2 सवाल
निर्माणाधीन मेयर स्ट्रीट बिना अधिकारियों की अनुमति के तोड़ी गई है तो निगम प्रशासन द्वारा एफआईआर जैसी कार्रवाई का कदम क्यों नहीं?
महापौर या संबंधित पार्षद ने निगम अधिकारी को इस मामले में विधिवत पत्र क्यों नहीं लिखा गया?









