उज्जैन। लहसुन की बंपर आवक किसानों को भारी पड़ रही है। भाव एक-दो रुपए किलो मिलने से किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे है। हालात यह है किसान लहसुन मंडी में बेचने की बजाय सड़कों पर फेंकने का मन बनाने लगे हैं। भावांतर देने मांग और चीन से लहसुन आयात करने के विरोध में चक्काजाम कर प्रदर्शन किया।
भारतीय किसान संघ ने सरकार की निर्यात नीति का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों ने पुतला जलाते हुए इंदौर-उज्जैन रोड पर जाम कर दिया। किसानों का आरोप था की सरकार की आयात और निर्यात नीति के कारण उन्हें फसल के भाव नहीं मिल पा रहे है।
उज्जैन जिले के भारतीय किसान संघ के करीब 100 से अधिक किसानों ने लहसुन थोक भाव में एक रुपए किलो बिकने और लागत मूल्य भी नहीं निकलने का आरोप लगाते हुए इंदौर रोड स्थित तपोभूमि पर प्रदर्शन कर उज्जैन इंदौर रोड को चक्काजाम किया। प्रदर्शन की खबर पर एडीएम संतोष टैगोर पहुंचे। उन्होंने किसानों को समझाया। इस दौरान किसानों ने एक ज्ञापन देकर समस्या हल करने की मांग की। किसानों ने बताया कि किसान लहसुन की पैदावार एक-दो रुपए किलो में बेचने पर मजबूर है, जो लागत लगाई थी वह भी नहीं निकल पा रही है। जबकि केंद्र सरकार लहसुन का चीन से आयात कर रही है। केंद्र सरकार की निर्यात नीति के कारण देश के किसानों को घाटा हो रहा है और यहां लहसुन की पैदावार करने के बाद भी उसे सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है।
पैदावार ज्यादा होने से गड़बड़ाया भाव
किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमलसिंह आंजना ने बताया कि इस बार लहसुन की बम्पर पैदावार हुई है। कई प्रमुख मंडियों से भी इस बार लहुसन ज्यादा मात्रा में निर्यात नहीं हो सकी है। किसानों को एक क्विंटल लहसुन पर 15 हजार लागत पड़ी है और भाव 100-200 रुपए क्विंटल मिल रहे।