शरद पूर्णिमा पर खंड्रग्रास चंद्रग्रहण, भारत में भी दिखाई देगा

By AV NEWS

वेधकाल में श्रद्धालु महाकाल के दर्शन कर सकेंगे, स्पर्श नहीं, कई मंदिरों के पट बंद रहेंगे

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शारदीय पूर्णिमा तिथि पर मध्य रात में चंद्रग्रहण है। यह खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा। वेधकाल में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन कर सकेंगे, स्पर्श नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा नगर के कई मंदिरों के पट वेधकाल में बंद रहेंगे

शारदीय पूर्णिमा पर 28-29अक्टूबर की मध्यरात्रि को खंडग्रास के रूप में चंद्रग्रहण दिखाई देगा। चंद्रग्रहण का आरंभ रात्रि में 1 बजकर 5 मिनिट पर होगा। ग्रहण की मध्य की स्थिति रात्रि में 1 बजकर 44 मिनिट तक रहेगी। ग्रहण का मोक्ष रात्रि में 2.24 पर होगा।

चंद्रग्रहण की अवधि एक घंटा 19 मिनट रहेगी। 28-29 अक्टूबर की मध्य रात्रि में लगने वाले चंद्रग्रहण का सूतक या वेध काल स्पर्श के 9 घंटे पहले यानि 28 अक्टूबर को दोपहर 4 बजकर 5 मिनिट प्रारंभ होगा। खंडग्रास चंद्रग्रहण होने से वेधकाल शुरू होने के बाद मंदिरों की दर्शन व्यवस्था बदलेगी।

28 अक्टूबर को दोपहर 4 बजकर 5 मिनिट से वेधकाल प्रारंभ होगा। इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा। वहीं भगवान का स्पर्श नही किया जाएगा। इसी तरह गोपाल मंदिर पर शाम 4.30 बजे से मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। अगले दिन 29 अक्टूबर को सुबह शुद्धीकरण के बाद मंदिर में पूजन प्रारंभ होगा।

18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण

शरद पूर्णिमा तिथि, मास, वर्ष, गोचर की गणना से देखे तो वर्ष 2005 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण था। अब 2023 में शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण की स्थिति बनी है। हालांकि इन ग्रहणों में अलग-अलग प्रकार का आंशिक भेद आता है, किंतु पूर्णिमा तिथि पर विशेषत: शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का होना एक अलग प्रकार की स्थिति को बनाता है।

ग्रहण के सूतककाल के दौरान मंदिरों में यह होगी व्यवस्था

महाकाल मंदिर: ग्रहण के वेधकाल के दौरान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नही होता है। इस दौरान भगवान को स्पर्श भी नहीं किया जाता है। महायोगी महाकाल काल और मृत्यु से परे है। उन पर किसी भी प्रकार के ग्रह, नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है। महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार ग्रहण काल के समय भी गर्भगृह के पट खुले रहते हैं। भक्तों को बाहर से दर्शन होंगे। रात्रि में ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर को रात्रि में ही धोकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद पुजारी पूजन व आरती करेंगे।

गोपाल मंदिर : सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट गोपाल मंदिर के पट सूतक- वेधकाल 4.30 बजे से मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। ग्रहण समाप्ति के बाद अगले दिन 29 अक्टुबर को सुबह 4.30 बजे पट खुलेंगे। मंदिर के शुद्धिकरण के बाद अभिषेक-पूजन आरती होगी। इसके बाद से ही भक्तों को दर्शन शुरू हो जाएंगे। 29 अक्टूबर को शाम को आरती में भगवान को खीर का भोग लगेगा।

सांदीपनि आश्रम- भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में वेधकाल शुरू होने पर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद हो जाएगा। इस दौरान आरती पूजन भी नही होगा। ग्रहण समाप्ति के पश्चात 29 अक्टूबर को सुबह मंदिर का शुद्धिकरण कर भगवान का पूजन-अभिषेक किया जाएगा। इसी दिन भगवान को खीर का भोग लगेगा।

मंगलनाथ मंदिर- वेधकाल के दौरान मंगलनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नही दिया जाएगा। मंदिर में पूजन नही होगा। इस दौरान भगवान को स्पर्श भी नही किया जाता है। रात में ग्रहण के मोक्ष होने पर 29 अक्टूबर की सुबह मंदिर को धोकर शुद्ध करने के बाद पूजन अभिषेक कर आरती की जाएगी।

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